प्राइवेट सेक्टर में कर्मचारियों को मासिक सैलरी के अलावा ग्रैच्युटी का भी फायदा मिलता है। इसके लिए किसी भी कर्मचारी को निजी कंपनी में कम से कम लगातार 5 साल तक काम करना पड़ता है। जिसके बाद वह अपनी सेवा के बदले ग्रैच्युटी का हकदार होता है। वहीं निजी कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों को ग्रैच्युटी पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 के तहत की जाती है। जिसे दो भागों में बांटा गया है। पहला एक्ट के तहत आने वाले इम्पलॉई और दूसरा एक्ट के तहत नहीं आने वाले इम्पलॉई। आपको बता दें कोई भी इम्पलॉई ग्रेच्युटी एक्ट के तहत तब आएगा जब कंपनी ने पिछले 12 महीने में प्रतिदिन कम से कम 10 लोगों को नौकरी दी हो। आइए जानते है कि, आप ग्रैच्युटी के हकदार है कि नहीं। जबकि आपको लीव विदाउट पे पर अवकाश भी दिया गया हो।

कौन सी संस्था एक्ट के दायरे में आती हैं? – कोई भी कंपनी, फैक्ट्री, संस्था जहां पिछले 12 महीने में किसी भी एक दिन 10 या उससे ज्यादा कर्मचारियों ने काम किया है तो ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट के अधीन आएगी। एक बार एक्ट के दायरे में आने पर कंपनी या संस्था को इसके दायरे में ही रहना होगा। अगर कभी कंपनी में कर्मचारियों की संख्या 10 से कम भी हो, तब भी वह एक्ट के दायरे में ही रहेगी। वहीं ग्रैच्युटी की रकम आवेदन करने के 30 दिन के भीतर आपके अकाउंट में जमा हो जानी चाहिए।

कैसे होती हैं ग्रैच्युटी की गणना – 1972 ग्रैच्युटी एक्ट के तहत आने वाले इम्पलॉई इस तरीके से अपनी ग्रैच्युटी की गणना कर सकते हैं।
यह फॉर्मूला है: (15 X पिछली सैलरी X काम करने की अवधि) भागित 26
यहां पिछली सैलरी का मतलब बेसिक सैलरी, महंगाई भत्ता से है।
मान लीजिए किसी व्यक्ति का पिछला वेतन 50,000 रुपये महीना है। उसने किसी कंपनी में 15 साल 8 महीने काम किया। ऐसे में उसकी ग्रेच्युटी होगी
(15 X 50,000 X 16)/26 = 4.61 लाख रुपये
(यहां काम करने के समय को राउंड फिगर में मानते हैं। अगर आप 15 साल 5 महीने काम करेंगे तो आपके काम करने का समय 15 साल ही माना जाएगा।)

एक्ट के तहत नहीं आने वाले इम्पलॉई की ग्रैच्युटी की गणना- एक एम्प्लॉयर (कंपनी या संस्था) जो ग्रेच्युटी एक्ट के दायरे में नहीं आता है वह भी चाहे तो अपने इम्पलॉई को ग्रेच्युटी का फायदा दे सकता है। ऐसे इम्पलॉई के लिए ग्रेच्युटी की रकम दस लाख रुपये या वास्तविक ग्रेच्युटी की सीमा या पूरे किए गए नौकरी के हर साल के लिए 15 दिन की औसत सैलरी हो सकती है।

इम्पलाई की मृत्यु होने पर ग्रैच्युटी की रकम – किसी इम्पलॉई की मृत्यु हो जाने की स्थिति में ग्रेच्युटी की रकम नौकरी की कुल अवधि पर आधारित होगी, जो अधिकतम 20 लाख रुपये तक हो सकती है। पहले यह सीमा 10 लाख रुपये थी। अब सरकार ने इसे बढ़ाकर दोगुना कर दिया है।

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लीव विदाउट पे पर ग्रेच्युटी की संभावना – अगर आप अपनी कंपनी में नौकरी छोड़ने के आखिरी महीने में लीव विदाउट पे पर रहते हैं। तो कंपनी आपकी आखिरी सैलरी शून्य दिखा कर ग्रैच्युटी की संभावना से इंनकार कर सकती है। लेकिन आप यहां तर्क दे सकते हैं कि, कोई भी संस्था अपने कर्मचारी को सैलरी के तौर पर शून्य राशि क्रेडिट नहीं कर सकती। इसलिए आपकी ग्रैच्युटी की रकम आखिरी क्रेडिट सैलरी पर की जाए। इसके अलावा आप किसी वकील से भी सलाह ले सकते हैं।