नेशनल पेंशन सिस्टम में इंवेस्ट करने वालों के लिए राहत की खबर है। दरअसल अभी तक NPS में सब्सक्राइबर्स को साल में 2 बार निवेश पैटर्न में बदलाव करने का मौका मिलता था। जो कि, आने वाले दिनों में साल में 4 बार होने वाला है। इस बारे में पेंशन कोष नियामक (PFRDA) के चैयरमैन सुप्रतिम बंद्याोपाध्याय ने बताते हुए कहा कि, नई पेंशन योजना में कस्टमर को एक फाइनेंशियल ईयर में निवेश पैटर्न को चार बार बदलने की अनुमति मिलेगी।

फिलहाल हैं ये नियम – फिलहाल एनपीएस अंशधारकों को एक वित्त वर्ष में दो बार ही निवेश पेटर्न में बदलाव करने की अनुमति है। इस सीमा को बढ़ाने की लंबे समय से मांग की जा रही थी। बंद्योपाध्याय ने उद्योग मंडल एसोचैम के एनपीएस पर आयोजित वेबिनार में कहा, फिलहाल अंशधारक एक साल में दो बार ही निवेश विकल्प बदल सकते हैं। जल्दी ही, हम इसे बढ़ाकर चार करने जा रहे हैं। हमारे पास इसे बढ़ाकर चार करने के कई अनुरोध आए हैं।

उन्होंने कहा कि पीएफआरडीए यह भी आगाह करना चाहेगा कि पेंशन कोष तैयार करने के लिए एनपीएस एक दीर्घकालिक निवेश (उत्पाद) है और इसे म्यूचुअल फंड योजना की तरह नहीं देखा जाना चाहिए।

ऐसे होता है NPS के जरिए निवेश – निवेशक एनपीएस में लगे पैसों को सरकारी प्रतिभूतियों, डेट विकल्पों, शॉर्ट टर्म डेट फंड और इक्विटी में निवेश के लिए बांट सकते हैं। हालांकि, सरकारी कर्मचारी इक्विटी में ज्यादा हिस्सा नहीं लगा सकते हैं। जबकि निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को इक्विटी में 75 फीसदी हिस्सा निवेश करने की छूट रहती है। इस बदलाव से निवेशकों को समय-समय पर अलग निवेश विकल्प चुनने की आजादी मिलेगी, जिससे वे बेहतर रिटर्न प्राप्त कर सकेंगे।

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क्या है NPS सिस्टम – नेशनल पेंशन सिस्टम यानी राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली भारत सरकार की एक पेंशन योजना है। एनपीएस एक प्रकार की पेंशन कम इन्वेस्टमेंट स्कीम है। जो कि बाजार आधारित रिटर्न की गारंटी देती है। बंदोपाध्याय ने बीमा एवं पेंशन शिखर सम्मेलन बोला था कि, पिछले 12 साल के दौरान इक्विटी योजनाओं के तहत रिटर्न या प्रतिफल 12 प्रतिशत से अधिक रहा है और सरकारी प्रतिभूतियों में यह 9.9 प्रतिशत रहा है।