डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को तत्काल भुगतान सेवा (आईएमपीएस) के जरिए प्रति लेनदेन की सीमा 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने का प्रस्ताव दिया। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) द्वारा प्रबंधित आईएमपीएस एक महत्वपूर्ण भुगतान प्रणाली है जो 24×7 तत्काल घरेलू फंड ट्रांसफर सुविधा प्रदान करती है और इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग ऐप, बैंक शाखाओं, एटीएम, एसएमएस और आईवीआरएस जैसे विभिन्न चैनलों के माध्यम से सुलभ है। वहीं दूसरी ओर आरबीआई ऐसी प्लानिंग भी कर रही है, जिससे कोई भी बिना इंटरनेट के भी डिजिटल ट्रांजेक्शंस कर सकेंगे।
आईएमपीएस ट्रांजेक्शंस की लिमिट में इजाफा
आरबीआई मॉनेटरी पॉलिसी के अनुसार आरटीजीएस के अब चौबीसों घंटे परिचालन के साथ, आईएमपीएस के ऑपरेशनल साइकिल में समान इजाफा हुआ है, जिससे लोन और रीपेमेंट का जोखिम कम हो गया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मॉनेटरी पॉलिसी के बाद घोषणा करते हुए कहा कि आईएमपीएस सिस्टम के महत्व और बढ़ी हुई उपभोक्ता सुविधा के मद्देनजर, प्रति लेनदेन सीमा 2 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने का प्रस्ताव है।
अलग से जारी होंगे निर्देश
उन्होंने कहा कि इससे डिजिटल भुगतान में और वृद्धि होगी और ग्राहकों को 2 लाख रुपए से अधिक का डिजिटल भुगतान करने की अतिरिक्त सुविधा मिलेगी, उन्होंने कहा, इस संबंध में आवश्यक निर्देश अलग से जारी किए जाएंगे। इसके अलावा, रिजर्व बैंक ने देश भर में ऑफलाइन मोड में रिटेल डिजिटल पेमेंट के लिए एक रूपरेखा पेश करने का भी प्रस्ताव रखा।
पायलट प्रोजेक्ट की घोषणा की
6 अगस्त, 2020 को डेवलपमेंट और रेगुलेटरी पॉलिसी पर वक्तव्य ने नवीन प्रौद्योगिकी के पायलट परीक्षण करने के लिए एक योजना की घोषणा की थी जो उन स्थितियों में भी खुदरा डिजिटल भुगतान को सक्षम बनाता है जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी कम है या उपलब्ध नहीं है। सितंबर 2020 से जून 2021 की अवधि के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में इस योजना के तहत तीन पायलटों का सफलतापूर्वक संचालन किया गया, जिसमें 1.16 करोड़ रुपए के मूल्य के 2.41 लाख की मात्रा को कवर करने वाले छोटे मूल्य के ट्रांजेक्शंस शामिल थे।
पूरे देश में लागू होगा ऑफलाइन ट्रांसफर मोड
दास ने कहा कहा कि पायलट टेस्टिंग से मिले बेहतर अनुभव को देखते हुए, देश भर में ऑफलाइन मोड में खुदरा डिजिटल भुगतान के लिए एक रूपरेखा पेश करने का प्रस्ताव है। यह डिजिटल भुगतान की पहुंच का और विस्तार करेगा और व्यक्तियों और व्यवसायों के लिए नए अवसर खोलेगा। उन्होंने कहा कि पीए बुनियादी ढांचे की कमी वाले क्षेत्रों को लक्षित करने के लिए सभी मौजूदा और नए पीए बुनियादी ढांचे जैसे पीओएस टर्मिनल, क्यूआर कोड, आदि पर सटीक स्थान की जानकारी प्राप्त करने के लिए जियो-टैगिंग टेक्नोलॉजी का लाभ उठाने के लिए एक रूपरेखा पेश करने का प्रस्ताव है।
ताकि ना हो फाइनेंशियल फ्रॉड
दास ने कहा कि रिजर्व बैंक के नियामक सैंडबॉक्स (आरएस) ने अब तक तीन समूह पेश किए हैं जिसमें ‘खुदरा भुगतान’, ‘सीमा पार भुगतान’, और ‘एमएसएमई उधार’ शामिल हैं। फिनटेक इकोसिस्टम को और गति प्रदान करने के लिए दास ने कहा, ‘वित्तीय धोखाधड़ी की रोकथाम और शमन’ पर एक चौथे समूह की घोषणा की जा रही है। इसके अलावा, उन्होंने कहा, प्राप्त अनुभव और हितधारकों से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर, नियामक सैंडबॉक्स में भाग लेने के लिए पहले के विषयों के लिए ‘ऑन टैप’ एप्लिकेशन को सुविधाजनक बनाने का प्रस्ताव है। इस उपाय से फिनटेक इकोसिस्टम में निरंतर नवाचार सुनिश्चित करने की उम्मीद है।