भारत में डिजिटल रुपए के लिए पहली बार टेस्टिंग दिसंबर 2021 तक शुरू की जा सकती है। यह बयान रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक निजि न्‍यूज चैनल को दिए इंटरव्‍यू में दिया है। केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा को सीबीडीसी के रूप में भी जाना जाता है, डिजिटल मुद्रा को ऑनलाइन रूप में लीगल टेंडर के रूप में प्रस्तावित किया जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो डिजिटल रुपया प्रचलन में चल रही फिएट करेंसी का ऑनलाइन वर्जन होगा।

नि‍जि चैनल को दिए इंटरव्‍यू में आरबीआई गवर्नर ने कहा कि आरबीआई डिजिटल करेंसी को लेकर काफी सतर्क और सावधान हैं। उन्‍होंने कहा क‍ि यह पूरी तरह से नया प्रोडक्‍ट है, जिसको लेकर वो काफी गंभीर हैं। उन्‍होंने कहा कि आरबीआई डिजिटल करेंसी की सुरक्षा, मॉनेटरी पॉलिसी इसके प्रभाव और प्रचलन में नकदी सहित कई पहलुओं पर गौर कर रहा है।

उन्‍होंने इस बारे में आगे कहा कि उन्‍हें लगता है साल के अंत तक हम पूरी तरह से सक्षम होंगे और एक ऐसी स्थित‍ि में आ जाएंगे कि अपनी डिजिटल करेंसी का पहला परीक्षण शुरू कर सकें। आरबीआई प्रमुख ने आगे कहा कि केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी के लिए एक सेंट्रलाइज लेजर का उपयोग करने और कई पार्टिसिपेंट्स का डिजिटल डेटाबेस रखने के ऑप्‍शन पर विचार कर रहा हैं। जिसे डिस्‍ट्रीब्‍यूटिड लेजर टेक्‍नोलॉजी भी कहा जाता है।

सेंट्रलाइज लेजर के डेटाबेस का स्वामित्व और संचालन केवल केंद्रीय बैंक के पास होगा। विशेष रूप से, यूके, चीन और यूरोप सहित कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं डिजिटल मुद्राओं के उपयोग की खोज कर रही हैं। नकदी के उपयोग में गिरावट और क्रिप्टोकरेंसी के बारे में लोगों की बढ़ती दिलचस्पी के बाद आरबीआई ने ट्रायल पर विचार करना शुरू किया है।

आपको बता दें क‍ि आरबीआई से काफी समय से इस बारे में सवाल किए जा रहे हैं कि आख‍िर वो अपनी खुद की डिजिटल करेंसी की शुरूआत कब करेंगे। खासकर बिटकॉइन की लोकप्र‍ियता बढ़ने के बाद तो यह सवाल और आरबीआई पर दबाव और ज्‍यादा बढ़ने लगा है। आरबीआई ने तो बिटकॉइन पर बैन तक लगा दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर से बैन हटा दिया था।