पंजाब नेशनल बैंक ने अपने कई नियमों में बदलाव किए हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के कर्जदाता बैंक ने ऐलान करते हुए कहा है कि वह इस महीने से गैर-बैंकिंग सेवाओं पर शुल्क में बढ़ोतरी करने वाला है। इसके अंतर्गत हर साल मुफ्त लेनदेन की संख्या और एटीएम से से पैसे निकालने का चार्ज बढ़ने वाला है। नई दरें इस साल 29 मई से लागू होंगी। बता दें कि यह बढ़ोतरी आरबीआई द्वारा रेपो दरों में 40 आधार अंकों की बढ़ोतरी के एक हफ्ते बाद की गई है।
इसके अलावा पीएनबी ने अपनी एक्सटर्नल बेंचमार्क लिंक्ड लेंडिंग रेट को भी 0.40 फीसदी बढ़ाकर 6.90 फीसदी कर दिया है, जो अगले महीने लागू होगा, जिसका मतलब है कि लोन की ईएमआई भी बढ़ जाएगी। वहीं विभिन्न शुल्क बढ़ोतरी में लेन-देन की सीमा में मल्टी-सिटी चेक बुक जारी करना, बचत और अन्य खातों में मुफ्त लेनदेन की संख्या और संशोधित लॉकर किराया शुल्क शामिल हैं।
सेविंग अकाउंट ट्रांजैक्शन लिमिट
पीएनबी की ओर से सेविंग अकाउंट ट्रांजैक्शन की लिमिट बढ़ाने के साथ ही लिमिट पर करने पर चार्ज भी बढ़ा दिया गया है। इससे पहले, एक वित्तीय वर्ष में 40 लेनदेन की मुफ्त सीमा पार करने के बाद, कर्जदाता एक वर्ष में प्रति लेनदेन 2 रुपये चार्ज करता था, लेकिन अब एक वित्तीय वर्ष में 50 डेबिट लेनदेन की नई सीमा को पार करते हैं, तो यह प्रति डेबिट लेनदेन पर 10 रुपये का शुल्क लेगा।
चेक रिटर्निंग शुल्क
बैंक ने चेक रिटर्निंग शुल्क के लिए एक नया स्लैब भी पेश किया है। इसमें 29 मई से बैंक 1 लाख रुपये से अधिक और 10 लाख रुपये तक के बाहरी लेनदेन के लिए 250 रुपये चार्ज करेगा। 10 लाख रुपये से अधिक के लेनदेन पर 500 रुपये प्रति लेनदेन वसूला जाएगा। वहीं बाहरी शुल्कों के साथ-साथ जेब खर्च के लिए भी जाएगा।
चेक बुक और लॉकर रेंट पेनॉल्टी चार्ज
पीएनबी ने कहा है कि वह बचत खातों के साथ मुफ्त चेक बुक की छुट्टी 25 से घटाकर 20 कर देगा। बैंक एक वर्ष तक की देरी के लिए 25 प्रतिशत वार्षिक किराया जुर्माना के रूप में लेगा। एक साल से ज्यादा और तीन साल तक की देरी पर सालाना किराए का 50 फीसदी जुर्माना लगेगा, जबकि तीन साल से ज्यादा की देरी पर बैंक लॉकर नहीं देगा। वहीं पांच साल के लिए पहले ही लॉकर किराया वसूला जाएगा।
करंट, कैश क्रेडिट, ओवरड्राफ्ट और अन्य खातों के लिए शुल्क
इन खातों पर ग्राहकों को प्रति दिन 1 लाख रुपये तक की राशि के आधार पर शुल्क मुफ्त होगा। 1 लाख रुपये से अधिक के लेनदेन के लिए 1 रुपये प्रति हजार का शुल्क लिया जाएगा, जो न्यूनतम 10 रुपये और अधिकतम 30,000 रुपये के अधीन होगा।