कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 के तहत, एक कर्मचारी अपने ईपीएफ खाते में 12% की दर से अनिवार्य रूप से कंट्रीब्यूट करतता है। वहीं एक नियोक्ता को भी कर्मचारी के एनपीएस खाते में योगदान करने की अनुमति है, और यह पूरी तरह से स्वैच्छिक है। हालाकि ध्यान देने वाली बात है कि अगर ईपीए, एनपीएस खाते में नियोक्ता का योगदान सीमा से अधिक है तो कर्मचारी टैक्स की कैटेगरी में रखा जाएगा। इसके साथ ही अतिरिक्त योगदान करने पर भी मिलने वाला लाभ भी टैक्स के अंतर्गत आएगा।
2020 बजट के दौरान की गई घोषणा के अनुसार, अगर किसी नियोक्ता का ईपीएफ, एनपीएस और सेवानिवृत्ति निधि में कुल योगदान एक वित्तीय वर्ष में 7.5 लाख रुपए से अधिक है, तो अतिरिक्त योगदान एक कर्मचारी के हाथ में टैक्स के तहत आएगा। इसके अलावा, अतिरिक्त योगदान पर अर्जित कोई भी ब्याज, लाभांश आदि भी कर योग्य होगा। यह आयकर नियम 1 अप्रैल, 2020 से यानी वित्त वर्ष 2020-21 से प्रभावी है। इस कारण आपके EPF व NPS में टैक्स कंट्रीब्यूशन की जांच करना आवश्यक हो जाता है।
कैसे चेक करें कि नियोक्ता ईपीएफ, एनपीएस योगदान टैक्स योग्य है या नहीं
यह जानने के लिए कि आपके नियोक्ता ने आपके ईपीएफ और एनपीएस खाते में कितना योगदान दिया है, किसी को उसकी नियुक्ति या मूल्यांकन पत्र की जांच करने की आवश्यकता होती है।
सीए रुचिका भगत, एमडी, नीरज भगत एंड कंपनी – एक चार्टर्ड अकाउंटेंट फर्म ने ईटी से बातचीत के दौरान बताया कि आपकी नियुक्ति या मूल्यांकन पत्र में आपके ईपीएफ खाते में आपके नियोक्ता के योगदान का उल्लेख है। यदि आपने आय टैक्स अधिनियम, 1961 की धारा 80 सीसीडी (2) के तहत नियोक्ता एनपीएस योगदान का विकल्प चुना है, तो इस तरह का कंट्रीब्यूशन का उल्लेख आपकी नियुक्ति या मूल्यांकन पत्र पर भी किया जाएगा।
ध्यान रखने योग्य बातें
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एक नियोक्ता के योगदान को दो भागों में बांटा गया है। EPF में नियोक्ता के 12% योगदान में से केवल 3.67% ही EPF खाते में जमा होता है। शेष 8.33% कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) खाते में योगदान है। इसके अलावा, ध्यान दें कि ईपीएस योगदान की गणना 15,000 रुपए की सीमा पर की जाती है। इसका मतलब है कि एक नियोक्ता ईपीएस के लिए अधिकतम 1,250 रुपए का योगदान कर सकता है और शेष राशि ईपीएफ खाते में जमा कर दी जाती है।