आगरा के इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल की एक बेंच ने घरेलू महिलाओं को बड़ी राहत दी है। जिसके तहत महिलाएं घर चलाते समय कुछ न कुछ सेविंग जरूर करती है। इस दौरान पति से मिलने वाले रुपयों, रिश्तेदारों की ओर से शगुन के रूप में मिलने वाले रुपयों या छोटे बच्चों को मिलने वाले रुपयों को घरेलू महिलाओं या यूं कहें कि हाउस वाइव्स की बचत में शामिल किया जाता है। ऐसे में इन रुपयों को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट महिला की आमदमी के रूप देखकर टैक्स नहीं मांग सकता है।
वास्तव में जो महिलाएं घर यानी हाउसवाइफ होती हैं, वो एक तरह से पूरे घर को मैनेज करती हैं। घर में दूध आने से लेकर सब्जी लाने तक। घर के पलंबर के काम से लेक इलेक्ट्रीशियन के काम तक सभी उन्हीं के कंधों पर होता है। इन सभी कामों के रुपए लगते हैं। घरेलू महिलाएं इन्हीं सब काम के लिए बारगेनिंग कर रुपयों को बचाती है। वहीं कोई आपके घर आया या आप कहीं गए तो बच्चों को मिलने वाले रुपए भी उन्हीं घरेलू महिलाओं की जेब में जाते हैं। यही छोटी-छोटी रकम लाखों में पहुंच जाती है।
नोटबंदी में सामने आए थे 2 लाख से ज्यादा : नोटबंदी के बाद कई महिलाओं की ओर से जमा कि हजारों लाखों रुपए निकलकर सामने आए थे। जिनके बारे में उनके परिवार को भी जानकारी नहीं थी। इसी तरह का मामला सामने आया है, जिसमें एक हाउस वाइफ ने अपनी सेविंग के 2,11,500 रुपए के पुराने नोट बैंक में जमा कराए थे। जिसे महिला ने अपनी सेविंग बताया था। इस रकम को आयकर अधिकारी अडिशनल इनकम मान रहे थे और उस पर इनकम टैक्स की डिमांड कर दी। इसके बाद उस महिला ने इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल की शरण ली।
आगरा की आईटीएटी ने लिया बड़ा फैसला : आगरा की आईटीएटी में न्यायिक सदस्य ललित कुमार और लेखा सदस्य डा. मीठा लाल मीणा ने अपने फैसले में कहा कि नोटबंदी के दौरान महिला ने जो 2,11,500 रुपए जमा कराए हैं वो ढाई लाख रुपए की लिमिट में है। ऐसे में इसे एक्सेस इनकम नहीं माना जाना चाहिए। जिस पर टैक्स नहीं लगाया जाएगा। अपीलेंट ट्रिब्यूनल ने कहा कि असेसी ने यह रकम अपने पति, बच्चों और रिश्तेदारों से मिली छोटी-छोटी रकम को जोड़ कर बचाई है। जिसका असेसी की ओर से पूरी डिटेल भी है। ऐसे कमें किसी तरह का टैक्स नहीं वसूला नहीं जाएगा।
देने होंगे सारे सुबूत : बेंच ने कहा कि इस मामले में यह बिल्कुल भी नहीं कहा जा सकता किे महिला की कमाई का कोई दूसरा जरिया नहीं था। क्योंकि यह धारणा बनी हुई है कि गृहिणी सालों से परिवार में कई आर्थिक काम करती आ रही हैं। बेंच की ओर से यह भी कहा गया है कि अगर हम बहस के लिए इस ब्यौरे को दरकिनार भी कर दें तो असेसिंग अधिकारी को इसके पुख्ता सबूत जमा कराने होंगे कि बैंक में जमा रकम अघोषित इनकम है। जिसे किसी दूसरे कारोबार या दूसरे तरीके से कमाया गया है। अथॉरिटी की ओर से इस बारे में कोई सबूत पेश नहीं किया है।