निवेशकों के लिए सावधि जमा (फिक्स डिपॉजिट) एक बेहतर स्कीम रही है, क्योंकि यह गारंटीड रिटर्न का लाभ देती है और इसमें कम जोखिम होता है। सावधि जमा दो प्रकार के होते हैं, जिनमें से एक सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला एफडी, जो बैंकों द्वारा पेश किया जाता है और इसमें जोखिम का रिस्क कम होता है। जबकि दूसरा कॉर्पोरेट सावधि जमा है जो उच्च ब्याज की पेशकश करता है, लेकिन बैंक सावधि जमा की तुलना में बहुत अधिक जोखिम रखता है।
अक्सर यह देखा जाता है कि जब FD पर रिटर्न की बात आती है तो निवेशक बहुत स्पष्ट होते हैं, लेकिन FD से जुड़े जोखिम अभी भी कम स्पष्ट हैं। इस कारण हम आपको ऐसे रिस्क के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपके पैसे को प्रभावित कर सकती हैं।
लिक्विडीटी रिस्क
फिक्स डिपॉजिट को लेकर कहा जाता है कि यह धन की उपलब्धता को आसान बनाता है। हालाकि सभी सावधि जमाओं में उच्च लिक्विडीटी नहीं होती है। जैसे एक टैक्स सेवर FD में पांच साल की लॉक-इन अवधि होती है, जिसके कारण निवेशक मैच्योरिटी से पहले फंड को लिक्विड नहीं कर सकता है। अगर वह ऐसा करने की कोशिश करता है तो उसे पैसों का नुकसान हो सकता है। इसके अलावा, यदि किसी निश्चित बैंक के पास ऑनलाइन सुविधा नहीं है, तो व्यक्ति को अपनी सावधि जमा से धन निकालने के लिए शाखा का दौरा करना पड़ सकता है और कागजी कार्रवाई करनी पड़ सकती है।
भुगतान में चूक का रिस्क
छोटे सहकारी बैंकों द्वारा चूक के कुछ मामले सामने आए हैं, ऐसी स्थितियों में इन निवेशकों को जुर्माने के साथ रकम देनी पड़ सकती है। गौरतलब है कि एक नए नियम के तहत, निवेशक 5 लाख रुपए प्रति खाता तक का जमा बीमा कर सकते हैं। लेकिन इससे ऊपर की कोई भी राशि डिफ़ॉल्ट जोखिम के अधीन है।
मुद्रास्फीति जोखिम
मुद्रास्फीति हर निवेश को प्रभावित करती है और जोखिम बढ़ाती है। यदि कोई FD 8% ब्याज देता है और मुद्रास्फीति की दर इस समय 6% है तो अर्जित वास्तविक रिटर्न केवल 2% है। यह सच है कि FD पर ब्याज निश्चित होता है और बाजार के उतार-चढ़ाव पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, लेकिन वास्तविक रिटर्न मुद्रास्फीति के अनुसार बढ़ता या घटता है।
उच्च कराधान
फिक्स डिपॉजिट पर ब्याज आय पूरी तरह से कर योग्य हो सकती है, जब तक कि आपकी आयु 60 वर्ष से अधिक न हो। जहां 50,000 रुपए की छूट धारा 80 टीटीबी के तहत है। आपकी ब्याज आय को आपकी आय के साथ जोड़ दिया जाता है और आपके स्लैब के अनुसार कर लगाया गया है। इसलिए, यदि आप 30% टैक्स स्लैब में हैं, तो 7% FD प्रभावी रूप से आपको केवल 4.9% रिटर्न प्रदान कर सकती है, जो बढ़ती मुद्रास्फीति से और कम हो जाती है।
रिइनवेस्टमेंट रिस्क
FD के मैच्योर होने पर निवेशक दो विकल्प चुन सकता है। या तो पैसे निकाल लें या FD को बढ़ा दें। निवेशक नई FD प्राप्त कर सकता है, लेकिन केवल उसी दर पर जो अभी लागू है। यह आपके दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों को खतरे में डाल सकता है, क्योंकि आप रिटर्न की आकर्षक दर पर धन का दोबारा से निवेश नहीं कर सकते हैं।