इस बात की जानकारी सभी को होती है कि सैलरी, रेंटल इनकम और बिजनेस होने वाली आय टैक्सेबल होती है, जिसके लिए आय के हिसाब से स्लैब भी दिए गए हैं। जिस आय की स्लैब में जो आता है, उसे उतना टैक्स देना होता है। वहीं दूसरी ओर बात शेयरों से होने वाली कमाई की बात करें तो सवाल उठता है कि वो भी क्या टैक्सेबल है। होममेकर्स, रिटायर्ड लोग अपनी जमा पूंजी को शेयरों में निवेश करते हैं, लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी नहीं होती है कि शेयरों से होने वाली कमाई इनकम टैक्स के दायरे में आती है या नहीं। वास्तव में शेयरों को बेचने और खरीदने पर होने वाले फायदे और हानि आधार पर टैक्स लगाया जाता है। आइए आपको भी बताते हैं कि शेयरों से होने वाली कमाई पर कितना और किस तरह का टैक्स लगता है।
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन/लॉस
यदि स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड शेयरों को खरीदने के 12 महीनों के अंदर बेचे जाते हैं, तो विक्रेता को शॉर्ट टर्म केपिटल गेन या फिर शॉर्ट टर्म कैपिटल लॉस हो सकता है। जब शेयर खरीद मूल्य से ज्यादा कीमत पर बेचे जाते हैं तो विक्रेता शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन होता है।
लांग टर्म कैपिटल गेन और लॉस
लांग टर्म केपिटल गेन और लॉस तब होता है जब शेयरों को खरीदने के 12 महीने के बाद उन्हें बेचा जाता है। बजट 2018 से पहले इक्विटी शेयरों या म्यूचुअल फंड की इक्विटी-बेस्ड यूनिट्स को बेचने होने वाला लांग टर्म कैपिटल गेन को धारा 10 (38) के तहत टैक्स में छूट दी हुई थी। 2018 बजट के प्रावधानों के अनुसार, यदि कोई विक्रेता एक लाख से रुपए से ज्यादा लांग टर्म कैपिटल गेन अर्जित करता है तो उस 10 फीसदी लांग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। इसके अलावा ऐसे लोगों को इंडेक्सेशन का बेनिफिट भी नहीं दिया जाएगा।
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स पर टैक्स
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स पर 15 फीसदी टैक्स लगता है। टैक्स स्लैब के बावजूद, शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर 15 फीसदी का स्पेशल टैक्स रेट लागू होता है। इसके अलावा, यदि आपकी कुल टैक्सेबल इनकम शॉर्ट टर्म गेन को छोड़कर टैक्सेबल इनकम से कम है यानी 2.5 लाख से कम है तो आप इस कमी को अपने शॉर्ट टर्म गेन के अगेंस्ट समायोजित कर सकते हैं। बाकी शॉर्ट टर्म गेन पर 15 फीसदी टैक्स + 4 फीसदी सेस लगाया जाएगा।
लांग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स
अगर शेयर बेचने पर आपका लांग टर्म कैपिटल गेन 1 लाख रुपए से कम है तो उस पर कोई टैक्स नहीं लगाया जाएगा। अगर यह लांग टर्म कैपिटल गेन एक लाख रुपए से ज्यादा है तो उस पर 10 फीसदी का टैक्स लगाया जाएगा। साथ ही उन्हें इंडेक्सेशन का लाभ भी नहीं मिलेगा। यह प्रावधान बजट 2018 के बाद किया गया है।