लोग अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए कई स्कीमों में निवेश की योजना बनाते हैं। आधुनिक समय में कोई शेयर मार्केट में निवेश कर रहा है तो वहीं एफडी, सरकारी स्कीम और सोना में भी निवेश किया जा रहा है। सोना भारतीय लोगों के लिए पहले से ही पसंदीदा रहा है। पीली धातु में इनवेस्ट निवेशकों के लिए सुरक्षित माना गया है, जिसमें अच्छा मुनाफा भी मिलता रहा है।
ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम की शुरुआत की गई है। यह स्कीम निवेशकों को डिजिटल गोल्ड में निवेश करने का मौका देती है। इसे 2022 में ही लॉन्च किया गया था। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) की दूसरी किश्त 22 अगस्त को सदस्यता के लिए खुल चुकी है, जो 26 अगस्त, 2022 को बंद होगी। इसकी पहली किश्त इसी वित्त वर्ष, जून में पेश की गई थी।
कौन कर सकता है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश
SGBs में एक ट्रस्ट, एक HUF, एक धर्मार्थ संस्थान, एक विश्वविद्यालय, या भारत में रहने वाला कोई व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार निवेश कर सकता है। इसके अलावा नाबालिग बच्चा अपने अभिभावक के साथ या फिर अन्य भारतीय नागरिक कुछ अन्य लोगों के साथ इस स्कीम से सोना खरीद सकते हैं।
कितनी है प्रति ग्राम गोल्ड की कीमत
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के मुताबिक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की दूसरी सीरीज के तहत बॉन्ड का इश्यू प्राइस (सोने की कीमत) 5,197 रुपए प्रति ग्राम रखा गया है। वहीं 50 रुपए की छूट ऑनलाइन निवेश करने वालों को दी जाएगी। वहीं पहली सीरीज के दौरान सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का प्राइज इश्यू 5,091 रुपए प्रति ग्राम था।
कैसे इस स्कीम में कर सकते हैं निवेश
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में कॉमर्शियल बैंकों (स्माल फाइनेंस बैंक और पेमेंट बैंक को छोड़कर), स्टॉक होल्डिंंग कॉपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (SHCIL), क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (CCIL), पोस्ट ऑफिस और स्टॉक एक्सचेंज विज, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज लिमिटेड के माध्यम से निवेश या सोने की खरीद कर सकते हैं।
सोने की खरीदारी की लिमिट
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम के तहत कोई भी एक ग्राम सोना खरीदकर निवेश की शुरुआत कर सकता है। किसी एक वित्त वर्ष के दौरान सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में अधिकतम 4 किलो सोना ही खरीद कर निवेश किया जा सकता है। अविभाजित हिंदू परिवारों और ट्रस्टों के लिए ये लिमिट 20 किलो तक है।
क्या होता है टेन्योर और टैक्स
SGB की अवधि आठ साल तय की गई है, जिसमें ब्याज की तारीख पर पांचवें वर्ष के बाद जल्दी रिडीम करने का विकल्प दिया गया है। इस स्कीम के तहत प्राप्त किया गया धन या ब्याज इनकम टैक्स एक्ट 1961 (43 of 1961) के तहत आएगा। एक व्यक्ति द्वारा इस स्कीम के तहत प्राप्त शुरुआती पूंजीगत लाभ पर कर मुक्त है। SGB के हस्तांतरण से प्राप्त होने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल लाभ इनडेक्सेशन एडवांटेज के लिए पात्र होंगे।