दुनिया भर के निवेशकों के लिए सोने में निवेश एक बहुत लोकप्रिय विकल्प रहा है। कई निवेशक स्टेबल रिटर्न के लिए सेफ ऑप्शन के रूप में सोने पर भरोसा करते हैं। शेयर बाजारों में बढ़ती अनिश्चितता के साथ, सोने में निवेशकों ने एक सुरक्षित निवेश के रूप में अधिक प्रमुखता प्राप्त की है जो लगातार रिटर्न उत्पन्न करता है।
सोने के निवेश के प्रकार
- फिजिकल गोल्ड : सोने के आभूषण, सिक्के, बार आदि
- डिजिटल गोल्ड : पेटीएम, गूगल पे जैसे मोबाइल वॉलेट के जरिए सोना
- पेपर गोल्ड : गोल्ड बॉन्ड, गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड म्यूचुअल फंड आदि
- डेरिवेटिव अनुबंध कमोडिटी बाजार के माध्यम से सोना खरीदना
व्यक्ति अपने वित्तीय लक्ष्यों के आधार पर सोने के विभिन्न रूपों में निवेश करते हैं। हालांकि, सोने के विभिन्न रूपों पर अलग-अलग कर लगाया जाता है। निवेश शुरू करने से पहले सोने के विभिन्न निवेशों के कर प्रभावों से अवगत होना आवश्यक है।
फिजिकल गोल्ड
फिजिकल गोल्ड जैसे आभूषण या सिक्कों पर टैक्सेशन इस बात पर निर्भर करता है कि आपने उन्हें कितने समय के लिए अपने पास रखा है। फिजिकल गोल्ड के निवेश के पूंजीगत लाभ पर अवधि के आधार पर लंबी अवधि और छोटी अवधि के आधार पर टैक्स लगाया जाता है।
अगर आप खरीदने के 3 साल के भीतर सोना बेचते हैं, तो आप पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा, जबकि अगर आप 3 साल के बाद इसे रखते हैं और उसके बाद बेचते हैं तो आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा।
शॉर्ट टर्म के लिए, पूंजीगत लाभ को आपकी कुल टैक्स योग्य आय में जोड़ा जाएगा और आपकी आयकर स्लैब दर पर टैक्स लगाया जाएगा। लंबी अवधि के लिए, आपके पूंजीगत लाभ पर 20 फीसदी और 4 फीसदी सेस और लागू होने पर एडिशनल सरचार्ज लगाया जाएगा। साथ ही आपको फिजिकल गोल्ड की खरीद पर 3 फीसदी जीएसटी और ज्वैलरी के मामले में मेकिंग चार्ज देना होगा। फिजिकल गोल्ड बेचते समय, टीडीएस लागू नहीं होगा लेकिन यदि आप 2 लाख रुपए से अधिक के सोने के आभूषण नकद में खरीदते हैं, तो 1 फीसदी टीडीएस लागू होता है।
डिजिटल गोल्ड
डिजिटल गोल्ड पर भी फिजिकल गोल्ड की तरह ही टैक्स लगाया जाता है और यह निवेश की अवधि पर निर्भर करता है। लांग टर्म कैपिटल गेंस 3 साल बाद 20 फीसदी प्लस सेस और सरचार्ज की दर से सोना बेचने पर लागू होता है। हालांकि, 3 साल से कम समय के लिए रखे गए डिजिटल गोल्ड पर रिटर्न पर सीधे टैक्स नहीं लगता है। डिजिटल गोल्ड निवेशकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है क्योंकि इसके कई लाभ जैसे बहुत कम प्रारंभिक निवेश, ऑनलाइन खरीदा जा सकता है, भौतिक सोने के भंडारण का कोई तनाव नहीं है।
पेपर गोल्ड
पेपर गोल्ड, जिसमें गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड म्यूचुअल फंड और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) शामिल हैं, ये वो सोना हैं जो कागज पर और या फिजिकल रूप से रखे जाते हैं। इनमें गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड पर फिजिकल गोल्ड की तरह ही टैक्स लगता है, हालांकि, एसजीबी पर टैक्स थोड़ा अलग है। गोल्ड ईटीएफ और म्यूचुअल फंड के लिए, एलटीसीजी 3 साल से अधिक समय तक रखने पर लागू होता है। दर भी वही – 20 फीसदी प्लस 4 फीसदी सेस और 3 साल से कम के निवेश के लिए, लाभ आपकी टैक्सेबल इनकम में जोड़ा जाता है और आपके आईटी स्लैब के अनुसार टैक्स लगाया जाता है।
सॉवरेन गोल्ड बांड
एक सॉवरेन गोल्ड बांड को 2.5 फीसदी प्रति वर्ष का ब्याज प्राप्त होता है, जिसे आपकी कर योग्य आय में जोड़ा जाता है और आपके स्लैब के अनुसार चार्ज किया जाता है। हालांकि, 8 साल बाद एसजीबी के जरिए आप जो भी मुनाफा कमाते हैं, वह टैक्स फ्री होता है। SGB में 5 साल की लॉक-इन अवधि होती है, हालांकि, समय से पहले निकासी के मामले में, अलग-अलग कर दरें लागू होती हैं। 5 साल बाद लेकिन 8 साल से पहले निकासी के मामले में, LTCG टैक्स 20 फीसदी प्लस 4 फीसदी सेस लगेगा।
गोल्ड डेरिवेटिव्स
गोल्ड डेरिवेटिव से रिटर्न केवल कारोबारों के लिए उपलब्ध है और उन पर बहुत अलग तरीके से कर लगाया जाता है। यदि फर्म का कुल कारोबार 2 करोड़ रुपए से कम है, तो गोल्ड डेरिवेटिव से रिटर्न को व्यावसायिक आय के रूप में दावा किया जा सकता है और 6 प्रतिशत की दर से कर लगाया जा सकता है। इससे ऐसी फर्मों के लिए कर का बोझ कम हो जाता है। हालांकि, अगर टर्नओवर 2 करोड़ रुपए से अधिक है तो इसे व्यावसायिक आय के रूप में शामिल नहीं किया जा सकता है।
गिफ्ट के रूप में सोना
यदि सोना माता-पिता, भाई-बहन या बच्चों से उपहार के रूप में प्राप्त होता है, तो यह टैक्स फ्री होता है, लेकिन अगर आप इसे उनके अलावा किसी और से उपहार के रूप में प्राप्त करते हैं, तो आपको अपने आईटी स्लैब के अनुसार करों का भुगतान करना होगा यदि कुल उपहार राशि 50,000 रुपए तक पहुंच जाती है। किसी से भी 50,000 रुपए से कम के उपहार के रूप में सोना टैक्स फ्री है। हालांकि, सोना बेचने पर फिजिकल गोल्ड की तरह ही टैक्स लगेगा।
