एक नया घर खरीदना या जमीन के टुकड़े को खरीदना दोनों बातें कई लोगों को एक ही लग सकती है। आम बोलचाल में दोनों को खरीदने का मतलब संपत्ति खरीदना ही माना जाता है। लेकिन दोनों को खरीदने में काफी फर्क है। दोनों पर लोन की शर्तें और तरीका समान होने के बाद भी काफी अलग-अलग है। ऐसे में इन दोनों में फर्क समझना काफी जरूरी है।
होम लोन उन संपत्तियों के लिए उपलब्ध हैं, जिनका भविष्य में निर्माण होने की उम्मीद है, निर्माणाधीन, या तैयार संपत्तियों के लिए, जबकि लैंड लोन घर बनाने या निवेश उद्देश्यों के लिए जमीन का प्लॉट खरीदने के लिए होता है। वैसे दोनों प्रकार के लोन में कुछ समानताएं भी हैं। लैंड लोन से संबंधित शर्तें, दरें और प्रक्रियाएं होम लोन के समान है। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर दोनों में किस तरह का अंतर देखने को मिलता है।
जगह भी निभाती है अहम भूमिका : होम लोन तैयार संपत्तियों, निर्माणाधीन संपत्तियों या स्व-निर्मित होने के लिए लिया जा सकता है। दूसरी ओर लैंड लोन सिर्फ लैंड खरीदने के लिए ही लिया जाता है। शर्त यह है कि लैंड का यूज घर बनाने के लिए किया जाना चाहिए। जानकारों की मानें तो लैंड लोन के उधार लेने वालों को कई तरह की शर्तों से होकर गुजरना पड़ता है। जबकि होम लोन लेना काफी आसान है। कई लेंडर्स आपको तय कीमतों से कम पर भी होम लोन देने की पेशकश कर सकती है।
लोन टू वैल्यू रश्यो : लोन टू वैल्यू रश्यो प्रोपर्टी की कॉस्ट के बदले मिलने वाले लोन की लिमिट है। होम लोन के लिए एलटीवी रेश्यो अनुपात लगभग 75-90 फीसदी है (यानी उधारकर्ता आमतौर पर ऋण राशि के आधार पर संपत्ति के मूल्य/लागत का लगभग 75-90 फीसदी लोन प्राप्त कर सकता है)। लैंड लोन के मामले में लोन राशि के आधार पर अधिकतम एलटीवी संपत्ति मूल्य के 75-80 फीसदी पर छाया हुआ है। इसलिए, यदि आप व्यक्तिगत उपयोग के लिए या निवेश के रूप में जमीन का प्लॉट खरीदने पर विचार कर रहे हैं, तो आपको प्लॉट के मूल्य का कम से कम 20 फीसदी का डाउन पेमेंट करना होगा। इसके अलावा, होम लोन को लैंड लोन की तुलना में कम जोखिम भरा माना जाता है और इसलिए 10% से 20% अधिक एलटीवी, 50 से 100 बीपीएस कम आरओआई मिलता है।
होम और लैंड की ब्याज दर एवं अवधि : होम लोन पर ब्याज दरें सभी तरह के लोन में सबसे कम हैं। अधिकतर बैंक 7 फीसदी से कम पर होम लोन प्रोवाइड करा रहे हैं। लैंड लोन की ब्याज दरें काफी हाई होती हैं। अगर बात लोन टेन्योर की करें तो होम लोन लंबी अवधि का कर्ज होता है। 10 साल से लेकर यह 30 साल में भी चुकाया जा सकता है। लैंड लोन को चुकाने के लिए आपको इतना लंबा समय नहीं है मिलता है, वो आपको कुछ सालों में चुकाना होता है। हालांकि, भूमि ऋण का कार्यकाल इतना लंबा नहीं है।
टैक्स बेनिफिट : इसके अलावा, होम लोन के भुगतान पर आपको इनकम टैक्स में राहत मिलती है। लैंड लोन में इसका प्रावधान नहीं है। जबकि खुद की संपत्ति के लिए लिए होम लोन के रिपेमेंट पर मूलधन और ब्याज दोनों धारा 80सी और धारा 24बी के तहत आयकर से राहत मिलती है। जबकि लैंड लोन पर आपको ऐसी कोई राहत नहीं मिलती है।