हाल ही में, कई व्यक्ति और कंपनियां, जिन्होंने टैक्स डिपार्टमेंट से कुछ आय छिपाई है, विभिन्न कर अधिकारियों के बीच डेटा एनालिटिक्स और मशीन लर्निंग और डाटा शेयरिंग के आधार पर विस्तृत जांच के बाद टैक्समैन के लेंस में आ गए हैं। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने ऑडिट चेकलिस्ट बनाने के लिए पिछले दो वित्तीय वर्षों के आंकड़ों का इस्तेमाल किया है। पिछले कुछ वर्षों में कर विभागों ने बिग डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल किया है। किसी भी उद्योग में आउटलेयर का पता लगाने के लिए उपकरण का उपयोग किया जाता है, और उद्योग आधारित औसत करों के अंतर का उपयोग आगे की जांच के लिए लक्ष्य निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
इनडायरेक्ट टैक्स डिपार्टमेंट ने जुलाई में कई व्यक्तियों और कंपनियों को उनके आयकर और अप्रत्यक्ष कर दाखिलों में विसंगतियां पाए जाने के बाद नोटिस जारी किए हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि बीते कुछ समय में डायरेक्ट टैक्स और इनडायरेक्ट टैक्स डिपार्टमेंट स्वतंत्र रूप से संचालित होते थे और डाटा साझा नहीं करते थे। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में सरकार के दोनों डिपार्टमेंट एक दूसरे के साथ डाटा शेयर कर रहे हैं। जिससे डीप एनालिसिस और टैक्स नोटिस की जांच में मदद मिली है।
वहीं दूसरी ओर इस साल कुछ वकीलों को भी नोटिस जारी किए गए हैं- जो इनडायरेक्ट टैक्स के दायरे से बाहर हैं। टैक्स नोटिस में विशेष रूप से उल्लेख किया गया है कि यदि प्राप्तकर्ता किसी भी छूट प्राप्त श्रेणी (जैसे वकील) के अंतर्गत आता है, तो उन्हें अपनी छूट के बारे में कुछ अतिरिक्त जानकारी प्रदान करनी चाहिए और टैक्सों भुगतान नहीं करना चाहिए। कानूनी फर्म खेतान एंड कंपनी के पार्टनर अभिषेक ए रस्तोगी के अनुसार टैक्स ऑफिसर्स टैक्स लीकेज के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और डाटा पर भरोसा कर रहे हैं। हालांकि यह टैक्स चोरी को ट्रैक करने के लिए निश्चित रूप से अच्छा है, व्यवसाय करने में आसानी को बढ़ाने के लिए अनावश्यक नोटिस से बचा जाना चाहिए।
इस साल टैक्स डिपार्टमेंट ने एक नया टैक्स फाइलिंग पोर्टल लांच किया है, लेकिन टैक्सपेयर्स को आईटीआर फाइल करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जानकारों का कहना है कि इस साल, चूंकि टैक्सपयर्स को इनककम टैक्स पोर्टल पर आईटीआर दाखिल करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में धारा 234 ए के तहत सभी टैक्सपेयर्स को बकाया कर देयता के बावजूद राहत प्रदान की जानी चाहिए। आपको बता दें कि सरकार ने कोविड -19 महामारी के बीच टैक्सपेयर्स को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा 30 सितंबर तक बढ़ा दिया है। लेकिन अगर आप फाइन या यूं कहें कि ब्याज से बचना चाहते हैं तो 31 जुलाई तक रिटर्न फाइल कर दें।