देश में फिक्स्ड डिपॉजिट सबसे पॉपुलर निवेश योजनाओं में से एक है। खासकर सीनियर सिटीजंस के लिए, जो कोरोना काल में एक वरदान की तरह साबित हुई है। कारण है सीनियर सीटीजंस को साधारण फिक्स्ड डिपॉजिट से ज्यादा ब्याज मिलना। उसके बाद भी बुजुर्गों की फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज दर से होने वाली कमाई आधी रह गई है।
आंकड़ों की मानें तो बीते 10 साल में सीनियर सिटीजंस के फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज से होने वाली कमाई 45 फीसदी तक कम हो गई है। वहीं दूसरी ओर सीनियर सिटीजंस की दूसरी सेविंग स्कीम्स में भी ब्याज में कमी आने से काफी आई है। जिसकी वजह से उनकी सेविंग में होने वाला फायदा लगातार कम हो रहा है। आपको बता दें कि देश में सीनियर सिटीजंस की संख्या करीब 15 करोड़ है। जिसकी वजह उनपर सीधे तौर पर असर देखने को मिल रहा है।
आंकड़ों की मानें तो साल 2011 में सरकारी बैंकों में सीनियर सिटीजंस एफडी पर अधिकतम ब्याज 9.75 फीसदी मिलता था, अब 2021 में कम होकर 5.5 फीसदी पर आ गया है। यानी सीनियर सिटीजंस को होने वाली कमाई का एक मोटा हिस्सा काफी कम हो गया है। एनालिसिस के अनुसार यदि 60 साल के ऊपर का एक व्यक्ति 2011 में 20 लाख रुपए फिक्स्ड डिपॉजिट करता था तो उसको साल में 1,95,000 रुपए ब्याज मिलता था। यानी उसे प्रत्येक महीने ब्याज से 16,250 रुपए की कमाई होती थी। वहीं आज 20 लाख रुपए की एफडी पर हर महीने 9166 रुपए की कमाई होती है।
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वहीं सीनियर सिटी की पोस्ट ऑफिस की अगर सीनियर सिटिजन सेविंग स्कीम की बात करें तो उसके ब्याज में भी बड़ा अंतर देखने को मिल रहा है। 2011 में सीनियर सिटीजल सेविंग स्कीम में 9 फीसदी ब्याज मिलता था जो कि कम होकर 7.4 फीसदी रह गया है। जानकारों की मानें तो ब्याज दरें पिछले एक दशक में हुए आर्थिक बदलाव की वजह से कम हुई हैं।
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जानकारों के अनुसार मैन्युफैक्चरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में सुस्ती के करण इकोनॉमी में कर्ज की मांग कम हुई है। मांग में तेजी बनाए रखने के लिए सरकार रिजर्व बैंक की ओर रेपो रेट में कटौती की है। जिसकी वजह से सेविंग पर मिलने वाला इंट्रस्ट रेट भी कम हुआ है। जानकारों के अनुसार आज बैंकों के पास लिक्विडिटी ज्यादा है जिससे कर्ज तो दिया जा सकता है, लेकिन लोगों को जमा पर मिलने वाले ब्याज का नुकसान उठाना पड़ेगा। सीनियर सिटीजंस को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है।