कोरोना वायरस की दूसरी वेव ने आम लोगों की सेविंग के साथ हाथ में रखे कैश को भी साफ कर दिया। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मंथली मैगजीन में अधिकारियों ने लिखा है कि महामारी में इलाज के लिए लोगों ने काफी रुपया विड्रॉ किया है। जिसकी वजह से बैंकों में रखे हुए रुपए में काफी कमी देखने को मिली है। वहीं कैश में भी काफी गिरावट आई है। आपको बता दें कि कोरोना की दूसरी वेव में ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदने के लिए लोगों को हजारों रुपए खर्च करने पड़े हैं। ब्लैक में ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए लोगों को दो से 5 गुना खर्च करना पड़ा है।
रिजर्व बैंक की मंथली मैग्जीन में अधिकारियों की ओर से आर्टिकल लिखे हैं। जिनको पढ़ने से जानकारी मिलती है कि महामारी में इलाज के लिए आम लोगों की ओर से मोटी रकम बैंकों से निकाली है। आर्टिकल में आंकड़ों में बताया है कि एक परिवार की कुल संपत्ति में बैंक जमा की हिस्सेदारी करीब 55 फीसदी होती है। महीने के आधार पर अप्रैल 2021 के अंत में इसमें 0.1 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। पिछले साल अप्रैल के महीने में यह आंकड़ा 1.1 फीसदी की तेजी के साथ देखने को मिला था।
बैंक की सेविंग्स घटी : आर्टिकल के अनुसार बैंक कर्ज की तुलना में बैंक सेविंग में गिरावट की दर ज्यादा रही है। जो यह दर्शाता है कि बैंकों में जमा की जाने वाली सेविंग कम हुई है। जो कोरोना की फर्स्ट वेव के दौरान बिल्कुल विपरीत देखने को मिल रही है। आर्टिकल के अनुसार लोगों के पास कैश में भी काफी कमी आई है। अप्रैल 2021 में यह आंकड़ा 1.7 फीसदी रही। जबकि पिछले साल इसी माह में 3.5 फीसदी की तेजी देखने को मिली है। यानी कोविड महामारी के कारण इलाज पर लोगों का काफी पैसा खर्च हुआ है।
परिवार की वित्तीय बचत हुई कम : आर्टिकल के अनुसार अनिश्चतता के दौर में लोग ज्यादा सेविंग करते हैं। साथ ही बहुत विचार के साथ किए जाने वाले एक्सपेंडिचर में कमी आती है। आरबीअई के प्रारंभिक अनुमान के अनुसार परिवार की वित्तीय बचत 2020-21 की तीसरी तिमाही में कम होकर 8.2 फीसद पर आ गई, जो पहले के दो क्वार्टर में 21 फीसदी और 10.4 फीसदी पर थे।
अमीरों की सेविंग्स : वहीं दूसरी ओर हाई नेथवर्थ इंडीविजुअल्स के लिक्विड फंड में इजाफा देखने को मिला है। जो महामारी और उसके रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण आई आर्थिक अनिश्चितता को दर्शाता है। कुछ परिवारों ने अपने रुपयों को गोल्ड ईटीएफ में भी निवेश किया है। आर्टिकल में लिखा है कि हाई नेटवर्थ के लोगों लिक्विड फंड से रुपया निकाला और रिटेल इंवेस्टर्स ने अपने रुपयों को सेविंग के रूप में वहां रखा हुआ है। अमीर लोगों और रिटेल इंवेस्टर्स का गोल्ड ईटीएफ में निवेश जून 2020 से पॉजिटिव है।