रियल स्टेट सेक्टर को नियंत्रित करने, इसमें पारदर्शिता लाने और ग्राहकों के हितों की रक्षा से जुड़े बिल को गुरुवार को राज्यसभा में पास कर दिया गया। द रियल स्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) बिल 2015 को सदन के समक्ष पेश करते हुए शहरी विकास मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि इस बिल से खरीदारों के हितों की सुरक्षा होगी और इस सेक्टर में पारदर्शिता भी आएगी। कांग्रेस ने भी इस बिल को अपना सपोर्ट जारी रखा। बिल ध्वनिमत से राज्यसभा में पास हो गया। इस बिल को आर्थिक सुधारों से जुड़ा एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।
नायडू ने इस बिल को वक्त की जरूरत बताया। सदस्यों के सवालों का जवाब देते हुए नायडू ने कहा कि आने वाले वक्त में इसमें अन्य बदलाव भी होंगे। उन्होंने इस बिल पर एआईएडीएमके सदस्यों का भी समर्थन मांगा, जिन्होंने इसका विरोध किया था। नायडू ने कहा कि इस बिल की वजह से इस सेक्टर में कालाधन लगाए जाने पर रोक लग सकेगी। बैकों में 70 फीसदी रकम चेकों के जरिए जमा किया जाएगा। नियमों का उल्लंघन करने पर प्रमोटरों को तीन साल जबकि खरीदारों और रीयल स्टेट एजेंट्स को एक साल की कैद या आर्थिक जुर्माना या दोनों सजा का प्रावधान है। बिल में यह भी प्रस्तावित है कि खरीदारों से इकट्ठे हुए रकम के कम से कम 70 पर्सेंट हिस्से को कंस्ट्रक्शन के खर्च के लिए अलग से एक अकाउंट में डाला जाए। हर राज्य में रियल स्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटीज स्थापित किया जाएगा जो रेजिडेंशियल या कमर्शियल प्रोजेक्ट्स से जुड़े लेनदेन पर नियंत्रण रखेंगी। ये अथॉरिटीज ये भी सुनिश्चित करेंगी कि प्राेजेक्ट वक्त पर खत्म हो और खरीदारों को सौंप दिया जाए। अपीलीय ट्रिब्यूनल को पिछले प्रावधानों के मुताबिक 90 दिनों के बजाए अब 60 दिन के भीतर शिकायतों का निस्तारण करना होगा।