कालाधन पर गठित विशेष जांच दल (एसआइटी) ने सोमवार को कहा कि करीब 500 प्रमुख भारतीय नागरिकों के बारे खुलासा करने वाली पनामा दस्तावेज की गोपनीय सूची की जांच करेगा। सूची में शामिल भारतीयों में अभिनेता, राजनीतिज्ञ और उद्योगपति शामिल हैं। सैकड़ों भारतीयों द्वारा कर चोरों की पनाहगाह माने जाने वाले पनामा में विभिन्न कंपनियों में धन लगाने की खबरों के बीच सरकार ने घोषणा की कि भारतीयों के विदेशों में संचालित ‘गैर कानूनी’ खातों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उधर पनामा सरकार ने ‘पनामा पेपर्स’ के आंकड़े लीक होने के मद्देनजर शुरू की जा सकने वाली हर प्रकार की कानूनी जांच में ‘पूरा सहयोग’ देने का संकल्प लिया है। इन लीक आंकड़ों को कई मीडिया संस्थानों ने दर्शाया है।

इस बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) एचएसबीसी और उससे पहले की आइजीआइजे के खुलासे के आधार पर 43 विदेशी खातों की जांच कर रहा है। वित्त मंत्री ने खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ (आइसीआइजे) के नए खुलासे के बाद जांच के लिए विभिन्न एजंसियों का जांच दल गठित किया है। पूर्व में हुए खुलासों में सरकार द्वारा की गई कार्रवाई का ब्योरा देते हुए जेटली ने कहा कि ईडी ने 23 एचएसबीसी और आइसीआइजे के खुलासे से संबंधित 20 मामलों में जांच शुरू की है। आइसीआइजे द्वारा 2013 में उपलब्ध कराई गई सूचना के आधर पर राजस्व विभाग ने 434 लोगों की पहचान की है जिनमें से 184 ने विदेशी इकाइयों से सौदों की बात स्वीकार की है।

इससे पहले एसआइटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एमबी शाह ने कहा, ताजा खुलासे के बाद जांच की जा रही है। हम उसकी (सूची) पूरी तरह से जांच करेंगे। यह पूछने पर कि क्या एसआइटी को इन नामों के बारे में कोई सूचना है, उन्होंने कहा कि दल को यह आज मिली है। उन्होंने कहा, ‘हमें वह सूचना अभी ही मिली है।’

एसआइटी उपाध्यक्ष न्यायमूर्ति (अवकाशप्राप्त) अरिजीत पसायत ने कहा कि उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग और राजस्व आसूचना निदेशालय जैसी एजंसियों से कहा है कि वे सूची का एक आकलन करें और इस बाबत एक रिपोर्ट तैयार करें। पसायत ने कहा, हम जानना चाहते हैं कि इनके पीछे सच्चाई क्या है। एसआइटी के पास यह रिपोर्ट नहीं थी। हो सकता हैं कि जांच एजंसियों के पास रही हो। इसलिए उनके द्वारा एक बार हमें रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद हम जरूरी कार्रवाई कर सकते हैं। यह सूची भारतीयों द्वारा 1977 से 2015 तक की अवधि के दौरान किए गए अपतटीय निवेशों के बारे में है।

इस नवीनतम सूची से पहले भी इस तरह के खुलासे हो चुके हैं, जैसे ‘स्विस खुलासा’ और भारतीयों से संबंधित एचएसबीसी सूची। नवीनतम सूची में दावा किया गया है कि उसने लाखों दस्तावेजों के संबंध में डेटा हासिल किया है जो यह दिखाता है कि राष्ट्र प्रमुखों, अपराधियों और विभिन्न हस्तियों ने कर पनाहगाह पनामा में ‘गोपनीय तरीके’ इस्तेमाल किए। हालांकि आइसीआइजे ने साथ ही यह घोषणा भी की कि ‘अपतटीय कंपनियों के वैध इस्तेमाल’ भी हैं।

आइसीआइजे ने अपने वेब पोर्टल पर लिखा, पनामा कागजात विश्व की प्रमुख कंपनियों में से एक और पनामा स्थित मोसैक फोंसेका के आंतरिक संचालन का खुलासा करते हैं जो अन्य अपतटीय कंपनियों का कारोबार संभालती है। पनामा दस्तावेज में 2.6 टेराबाइट डेटा है जिसे जर्मन समाचारपत्र ‘सैद्यूश जैतुंग’ से प्राप्त किया गया था और उसे आइसीआइजे और 100 से अधिक मीडिया साझेदारों से साझा किया गया।

उसने कहा, आइसीआइजे कंपनियों और उनसे जुड़े लोगों की पूरी सूची मई के शुरू में जारी करेगा। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि आयकर विभाग ने समाचारों पर संज्ञान लिया है और वह दल के निर्देशों के तहत ‘उस पर गौर कर रहा है।’ उन्होंने कहा, दल में शामिल अन्य एजंसियां तब कार्रवाई करेंगी जब डेटा को एसआइटी प्लेटफार्म पर साझा किया जाएगा।

सूत्रों ने यद्यपि कहा कि सूची में जिनके नाम हैं उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग पहले ही जांच कर रहे हैं जो कानून के तहत उनके द्वारा किए गए खुलासे के माध्यम से हो या पूर्व में प्राप्त गुप्तचर सूचना के माध्यम से हो। अंतरराष्ट्रीय संगठन ने कहा कि उसके पास अपने दावे की पुष्टि के लिए डिजिटल रिकार्ड और दस्तावेज, ईमेल और बिल हैं जो विश्व भर की कई हस्तियों और इकाइयों की बात करते हैं।

आइसीआइजे की ओर से जारी लिंक में भारतीयों से संबंधित कम से कम दो लोग हैं जबकि सहयोगी समाचारपत्र ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने 10 से अधिक व्यक्तियों और इकाइयों के नाम लिए हैं। सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर 2014 में कालाधन पर एसआइटी के गठन को अधिसूचित किया था। एसआइटी का गठन विदेशों में भारतीयों की अवैध संपत्तियों के मामलों की जांच के लिए किया गया था।

बहरहाल सैकड़ों भारतीयों द्वारा कर चोरों की पनाहगाह माने जाने वाले पनामा में विभिन्न कंपनियों में धन लगाने की एक ताजा रपट के बीच सरकार ने सोमवार को घोषणा की कि भारतीयों द्वारा विदेशों में संचालित ‘गैर कानूनी’ खातों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही सरकार ने पनामा की एक विधि फर्म के लीक हुए दस्तावेजों की सूचनाओं पर लगातार निगरानी के लिए एक बहुपक्षीय एजंसी समूह गठित किया है।

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर सुबह उनसे बात की और उनकी सलाह पर एजंसियों का समूह गठित किया गया है। इस समूह में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), भारतीय रिजर्व बैंक व वित्त मंत्रालय की वित्तीय आसूचना इकाई (एफआइयू) के अधिकारी शामिल हैं।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, विभिन्न एजंसियों वाले इस समूह में सीबीडीटी, एफआइयू, एफटीएंडटीआर (विदेशी कर व कर अनुसंधान) और रिजर्व बैंक जैसी एजंसियां शामिल होंगी। वे इनकी (खातों) की लगातार निगरानी करेंगी और जो भी खाते अवैध पाए जाऐंगे उन पर मौजूदा कानूनों के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। जेटली ने इस तरह के खुलासे का स्वागत करते हुए कहा कि ताजा खुलासे के बाद आने वाले दिनों में कुछ और नाम भी आ सकते हैं। उन्होंने कहा,‘ मैं इस जांच का स्वागत करता हूं। मेरी राय में यह एक अच्छी बात है कि इस तरह के पर्दाफाश किए जा रहे हैं। मैंने बार-बार कहा है कि दुनिया अब पहले से अधिक पारदर्शी हुई है, सरकार अब एक दूसरे के साथ सहयोग कर रही हैं और विभिन्न वैश्विक पहलों के बाद अब धीरे-धीरे ऐसी सारी सूचनाएं सामने आती रहेंगी।

वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस बारे में उनसे बात की और उनकी सलाह पर सरकार ने इस बारे में निगरानी करने और और सूचनाएं जुटाने के लिए एक बहु एजंसी समूह गठित किया है। जेटली ने कहा कि इस तरह की सूचनाओं का यह चौथा मामला है। उन्होंने कहा कि सबसे पहला मामला लिकटेंस्टाइन के खातों का था। उस मामले में संबद्ध सभी लोगों के खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई पहले ही शुरू की जा चुकी है। इनमें आय के आकलन के आदेश पारित किए जा चुके हैं। इसके बाद 2011 में एचएसबीसी बैंक के खाताधारकों का मामला सामने आया। इनमें 569 खाताधारकों की पहचान की जा चुकी है। इनमें से 390 अवैध थे इनमें 154 में अभियोग दायर किया जा चुका है।

उन्होंने कहा कि आय के विस्तृत आकलन के बाद लगभग 6500 करोड़ रुपए की अवैध धन संपत्ति का पता लगा है। उन्होंने कहा कि इन मामलों में कानून के अनुसार कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा, ‘खोजी पत्रकारों द्वारा निकाली गई सूचनाओं का स्वागत है।’ उन्होंने कहा कि यद्यपि आइसीआइजे की पिछली सूची में वित्तीय लेनदेन व बैंक खातों की जानकारी नहीं थी पर सरकारी जांच में संबंधित भारतीयों के खातों में 2000 करोड़ रुपए से अधिक की अघोषित संपत्ति का पता लगा था।

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार इस जांच में सभी स्रोतों से अधिक से अधिक जानकारी जुटाएगी। उन्होंने कहा कि भारत इस बात से चिंतित है कि दुनिया में अब भी कुछ देश ऐसे हैं जिन्हें काले धन की पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल किया जाता है और इसका दुष्परिणाम कर की हानि की रूप में अन्य सभी देशों को उठाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा कर से बचने के लिए अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों के खिलाफ ओइसीडी (आर्गेनाइजेशन आफ इकनामिक कॉपरेशन एंड डेवलपमेंट) की कराधान के क्षरण एवं लाभ के स्थानांतरण (बीइपीएस) विरोधी पहल से भारत व अन्य देशों को ऐसे स्थानों के दुरुपयोग को रोकने में मदद मिलेगी।

पनामा सिटी: पनामा की विधि फर्म मोस्साक फोंसेका ने कहा कि उसके कई धनी ग्राहकों के विदेशों में स्थित कामकाज की जानकारी देते हुए ‘पनामा पेपर्स’ का खुलासा करना एक ‘अपराध’ है और पनामा पर एक ‘हमला’ है। मोस्साक फोंसेका के संस्थापकों में शामिल रैमन फोंसेका ने कहा, यह एक अपराध, घोर अपराध है। उन्होंने एएफपी से कहा, यह पनामा पर एक हमला है क्योंकि कुछ देशों को यह बात रास नहीं आती कि हम कंपनियों को आकर्षित करने में इतना कड़ा मुकाबला पेश कर रहे हैं।

बड़े स्तर पर मोसाक फोंसेका के आंकड़े लीक होने की खबर विश्व भर में मीडिया ने छापी है। इन रिपोर्टों में बताया गया है कि किस प्रकार धनी राजनेता, सिलेब्रिटी और अन्य लोग कथित रूप से कर चोरी करके अपनी पूंजी छुपाने और धनशोधन करने के लिए इसका इस्तेमाल करते थे।

पेरिस: एक करोड़ से अधिक कर दस्तावेजों की भारी लीक ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सहयोगियों, वैश्विक नेताओं और बार्सिलोना के खिलाड़ी लियोनेल मेस्सी समेत कई सितारों की गुप्त सौदेबाजी का पर्दाफाश कर दिया है। इस जांच में लगभग 140 राजनीतिक हस्तियों की संपत्ति से जुड़ी गुप्त सौदेबाजी को उजागर किया गया। इन राजनीतिक हस्तियों में 12 मौजूदा या पूर्व राष्ट्र प्रमुख शामिल हैं। आइसीआइजे ने कहा कि इस जांच के तहत विदेशों में स्थित 2.14 लाख प्रतिष्ठानों से 1.15 करोड़ दस्तावेज प्राप्त किए गए। जिन लोगों के नाम दस्तावेजों की इस भारी लीक में सामने आए हैं, उन पर इसका गंभीर राजनीतिक असर पड़ सकता है।

आइसीआइजे की जांच में जिन लोगों के बारे में मुख्य दावे किए गए हैं, उनमें पुतिन के करीबी सहयोगी शामिल हैं। इन्होंने बैंकों और छद्म कंपनियों के जरिए दो अरब डॉलर का गुप्त घालमेल किया। हालांकि इन नामों में पुतिन का नाम इसमें शामिल नहीं है। आइसीआइजे ने कहा कि इन दस्तावेजों में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के परिवार का विदेशी कंपनियों से संबंध सामने आया है। शी खुद अपने देश में कड़ा भ्रष्टाचार रोधी अभियान चला चुके हैं। आइसलैंड में इन दस्तावेजों में प्रधानमंत्री सिगमुंदर डेविड गुनलॉग्सन और उनकी पत्नी द्वारा विदेशी कंपनी का गुप्त स्वामित्व रखने की बात कही गई है। इस कंपनी ने देश के आर्थिक संकट के दौरान लाखों डॉलर आइसलैंडिक बैंक बांडों के रूप में रखे थे।

फीफा के आचार-नीति समिति के एक सदस्य जुआन पेड्रो दामियानी की विधिफर्म के उन तीन लोगों के साथ कारोबारी संबंध थे, जिनपर फीफा स्कैंडल में अभियोग लगाया गया था। ये तीन लोग थे- फीफा के पूर्व उपाध्यक्ष ई. फिगुरेडो, ह्यूगो जिंकिस और उनका बेटा मरियानो। इनपर लातिन अमेरिका में फुटबॉल प्रसारण अधिकार हासिल करने के लिए रिश्वत देने का आरोप था।

अर्जेंटीना के दिग्गज फुटबॉल खिलाड़ी मेस्सी और उसके पिता का पनामा की कंपनी मेगा स्टार एंटरप्राइजेज इंक पर स्वामित्व है। यह एक शेल कंपनी है, जो पिता-पुत्र के कर मामलों की स्पैनिश जांच में सामने नहीं आई थी। फ्रांसटीवीइंफो ने फुटबॉल जगत से यूईएफए के अध्यक्ष माइकल प्लेटिनी को पनामा स्थित कर कंपनी का लाभार्थी बताया है। फ्रांसटीवीइंफो ने हालांकि यह भी कहा है कि किसी अवैध गतिविधि का आरोप नहीं लगाया गया है। प्लेटिनी की संचार सेवा ने एएफपी को भेजे गए एक बयान में कहा गया कि उसके सभी खातों और संपत्तियों की जानकारी स्विट्जरलैंड के कर अधिकारियों को है। वह वर्ष 2007 से वहां का करदाता है।

उधर पनामा सरकार ने ‘पनामा पेपर्स’ के आंकड़े लीक होने के मद्देनजर शुरू की जा सकने वाली हर प्रकार की कानूनी जांच में ‘पूरा सहयोग’ करने का संकल्प लिया है। पनामा सरकार ने एक बयान में कहा, पनामा सरकार कोई कानूनी कदम उठाए जाने की स्थिति में हर प्रकार की आवश्यक सहायता या हर प्रकार के अनुरोध में पूरी तरह सहयोग करेगी। पनामा आंकड़े लीक होने के कारण हुए इन खुलासों से जूझ रहा है कि उसकी एक हाई प्रोफाइल लेकिन गोपनीय विधि फर्म मोसाक फोंसेका ने कर अधिकारियों से पूंजी को छुपाने में विश्व भर के कई बड़े नेताओं और चर्चित हस्तियों की कथित रूप से मदद की।

* वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर उनसे बात की और उनकी सलाह पर जांच एजंसियों का समूह गठित किया गया है। इस समूह में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय की वित्तीय सूचना इकाई के अधिकारी शामिल हैं।

* पनामा की विधि फर्म मोस्साक फोंसेका ने कहा कि उसके कई धनी ग्राहकों के विदेशों में स्थित कामकाज की जानकारी देते हुए ‘पनामा पेपर्स’ का खुलासा करना एक ‘अपराध’ है और पनामा पर एक ‘हमला’ है