पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने शनिवार (12 नवंबर) को कहा कि सरकार के ऊंचे मूल्य के नोटों को बंद करने से कालेधन पर अंकुश लगने का दावा बेमानी है बल्कि इससे आम आदमी ही प्रभावित होगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चिदंबरम ने कहा कि लोगों को दवा खरीदने, बस और ट्रेन का टिकट खरीदने में और ऑटोरिक्शा का भाड़ा देने में परेशानी हो रही है क्योंकि अब तक चलन में रहे 500 और 1000 के नोट अचानक से बंद कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा, ‘वे (सरकार) कहते हैं कि बंद किए गए नोटों से जो ज्यादा मात्रा में चलन में थे, आम लोगों को कोई परेशानी नहीं होगी। यह अपने आप में एक मजाकिया बयान है।’ यहां पत्रकारों से बातचीत में चिदंबरम ने कहा, ‘यह कालेधन को कम करने के लिए उठाया कदम नहीं है। मेरी नजर में केंद्र सरकार के इस कदम से सिर्फ आम लोगों को परेशानी होगी।’ उन्होंने कहा 2012 में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने सरकार को 2000 के नोट नहीं जारी करने की सलाह दी थी। बोर्ड का कहना था कि इससे आम लोगों को फायदे के बजाय नुकसान ज्यादा होगा।

चिदंबरम ने कहा, ‘इस सलाह को किनारे रखते हुए सरकार ने 500 और 1000 के पुराने नोटों का चलन बंद कर दिया जो बड़ी मात्रा में बाजार में चलन में थे।’ चिदंबरम ने कहा कि कुल मुद्रा मूल्य का करीब 86 प्रतिशत इन्हीं दोनों नोटों के रूप में था। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार देशभर में 17 लाख करोड़ रुपए की मुद्रा चलन में थी और इसमें से मात्र 400 करोड़ रुपए नकली मुद्रा हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘मात्र 400 करोड़ रुपए की मुद्रा नष्ट करने के लिए 17 लाख करोड़ रुपए की मुद्रा को बंद करने की क्या जरूरत थी।’ कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के नोट बदलवाने के लिए लोगों के बीच लाइन में लगने को भाजपा द्वारा एक ‘फोटो अवसर’ बताए जाने पर चिंदबरम ने कहा, ‘वह और क्या कर सकते हैं? एक व्यक्ति अमान्य मुद्रा के साथ कैसे जी सकता है? इसलिए वह अपने 4000 रुपए बदलवाने गए (बैंक) थे।’ उन्होंने कहा कि वे नहीं जानते कि क्या अमान्य मुद्रा संबंधित मंत्री के घर पर बदली जा सकती थी। इसके लिए तो बैंक जाना ही होगा।