अकसर महंगाई के आंसू रुलाने वाले प्याज की एक बार फिर से देश में किल्लत बढ़ती दिख रही है। इस बीच सरकार ने समस्या से निपटने के लिए प्याज के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला लिया है। सोमवार को केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी। यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि घरेलू बाजारों में कीमतों को नियंत्रित किया जा सके। हालांकि प्याज से बने पाउडर के निर्यात पर रोक नहीं लगाई गई है। देश के कई हिस्सों में भारी बारिश और बाढ़ के चलते प्याज की किल्लत देखने को मिल रही है।
डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड की ओर से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि सभी तरह की प्याज के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाती है। इस प्रतिबंध के दायरे में बंगलुरु की लाल प्याज और कृष्णापुरम प्याज भी शामिल हैं। अब तक प्याज की इन वैराइटीज के निर्यात पर रोक नहीं लगाई जाती थी। नासिक क्षेत्र से प्याज की सप्लाई कम होने और उसके चलते कीमतों में लगातार इजाफे की वजह से एक्सपोर्ट पर बैन का फैसला लिया गया है। फिलहाल राजधानी दिल्ली में एक किलो प्याज की कीमत 40 रुपये के करीब बनी हुई है।
इससे पहले मार्च में ही सरकार ने प्याज के निर्यात पर लगे 6 महीने के बैन को वापस लिया था। कीमतों में नियंत्रण होने और सप्लाई चेन दुरुस्त होने के बाद यह फैसला लिया गया था। बीते साल भी सरकार ने सितंबर महीने में ही प्याज के निर्यात पर रोक लगाई थी। यही नहीं स्थानीय मार्केट में उपलब्धता बढ़ाने के लिए 850 डॉलर प्रति टन मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस लगाया था। उस दौरान देश के कुछ हिस्सों में प्याज की कीमतें 160 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई थीं।
बीते वित्त वर्ष में भारत ने 440 मिलियन डॉलर के प्याज का निर्यात किया था। इसके अलावा इस साल की पहली तिमाही में अब तक 198 मिलियन डॉलर के प्याज का एक्सपोर्ट किया जा चुका है। बता दें कि प्याज की बढ़ती कीमतें अकसर राजनीतिक मुद्दा बनती रही हैं और सरकारों के लिए सिरदर्द साबित हुई हैं।

