रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया में कच्चे तेल की कीमत में बड़ा उछाल आया है। इसके कारण भारत में बीपीसीएल, एचपीसीएल और इंडियन ऑयल जैसी सरकारी तेल कंपनियों को बड़ा घाटा उठाना पड़ा है। ग्लोबल मार्केट रिचार्ज फर्म मूडीज ने अनुमान लगाया है कि अकेले 22 मार्च तक पेट्रोल डीजल की कीमतों में वृद्धि न होने के कारण तेल वितरण कंपनियों को लगभग 19 हजार करोड़ रुपए का घाटा हुआ है।
4 महीने नहीं बढ़े दाम: 22 मार्च को मूल्य वृद्धि से पहले देश में करीब 4 महीने से तेल के दामों में कोई वृद्धि नहीं की गई थी। इस बीच दुनिया में कच्चे तेल के दाम में बड़ा इजाफा देखने को मिला था। नवंबर ने एक बैरल कच्चे तेल की कीमत करीब 84 डॉलर प्रति बैरल के आसपास थी जो 7 मार्च को 140 डॉलर प्रति बैरल बैरल तक पहुंच गई। हालांकि अब तेल की कीमतों में नरमी देखी गई है लेकिन अभी भी तेल की कीमत औसत रूप से $111 प्रति बैरल के आसपास बनी हुई है।
हर दिन हुआ 534 करोड़ का घाटा: मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि वर्तमान में कच्चे तेल की कीमतों के हिसाब से 21 मार्च तक तेल वितरण कंपनियों को पेट्रोल और डीजल पर करीब 24 डॉलर या 1900 रुपए प्रति बैरल का घाटा हो रहा था। वहीं मार्च की बात की जाए तो यदि कच्चे तेल कीमत को औसत रूप से 111 प्रति डॉलर माना जाता है तो 22 मार्च को पेट्रोल डीजल की कीमतों में वृद्धि होने से पहले तेल वितरण कंपनियों को करीब 534 करोड़ रुपए तक का घाटा प्रतिदिन हो रहा था।
इंडिया ऑयल को हुआ बड़ा नुकसान: मार्च के दौरान सबसे अधिक नुकसान देश की सबसे बड़ी तेल वितरण कंपनी इंडियन ऑयल को हुआ है। इस दौरान अकेले इंडियन ऑयल को 7634 से लेकर 8397 करोड़ रुपए के घाटे का अनुमान है जबकि अन्य अन्य तेल वितरण कंपनियों जैसे एचपीसीएल और बीपीसीएल को 4900 करोड़ और 4200 करोड़ रुपए के घाटे का अनुमान है।
लगातार दूसरे दिन बड़े पेट्रोल के दाम: 22 मार्च को कीमतों में इजाफा होने के बाद देश में 23 मार्च को भी पेट्रोल डीजल के कीमत में 80 पैसे तक की वृद्धि की गई है। हालांकि 24 मार्च को कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है।