Benefits of investing in NPS : नेशनल पेंशन सिस्टम यानी NPS एक ऐसी स्कीम है, जिसका मकसद आम लोगों को रिटायरमेंट प्लानिंग का एक बेहतर जरिया मुहैया कराना है। एनपीएस ट्रस्ट की वेबसाइट के मुताबिक स्कीम के सब्सक्राइबर्स की कुल संख्या 31 मई 2024 तक 1,82,63,659 हो चुकी थी। यानी देश के आम निवेशक बड़ी संख्या में इस स्कीम के जरिए निवेश करके अपना रिटायरमेंट कॉर्पस तैयार कर रहे हैं। अगर आपने अब तक इस स्कीम में निवेश नहीं किया है, तो ऐसा करने पर विचार कर सकते हैं। रिटायरमेंट के मकसद से NPS में निवेश करने के फायदों की चर्चा हम आगे करेंगे, लेकिन उससे पहले इस स्कीम के बारे में कुछ जान लेते हैं।
नेशनल पेंशन सिस्टम की खूबियां
एनपीएस की शुरुआत 1 अप्रैल 2004 को सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट बेनिफिट देने के इरादे से की गई थी। इसका मकसद कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन मुहैया कराना था। लेकिन 1 मई 2009 को इस स्कीम को सभी भारतीय नागरिकों के लिए खोल दिया गया। तब से अब तक इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है। इस स्कीम में लगाए गए पैसों को कम जोखिम में बेहतर रिटर्न देने के लिए जाना जाता है। इस स्कीम में लगाए गए पैसों को म्यूचुअल फंड या पेंशन फंड्स की तरह निवेश किया जाता है। यह निवेश इक्विटी और डेट समेत अलग-अलग एसेट क्लास में किया जा सकता है। आपके फंड का निवेश इनमें से किस एसेट क्लास में किस रेशियो में होगा, इसका फैसला आप खुद कर सकते हैं। इसके लिए निवेशकों को कुछ खास विकल्प दिए जाते हैं।
ऑटो च्वायस का ऑप्शन
ऑटो च्वायस (Auto Choice) के ऑप्शन के तहत आप तीन प्लान में किसी एक को चुन सकते हैं। ये तीन प्लान हैं – एग्रेसिव, मॉडरेट और कंजर्वेटिव। आप जो भी प्लान चुनते हैं, उसके इनवेस्टमेंट स्टाइल के हिसाब से आपके एसेट एलोकेशन को एडजस्ट कर दिया जाता है। यह एडजस्टमेंट करते समय निवेशक की उम्र को भी ध्यान में रखा जाता है। कम उम्र वाले निवेशकों का इक्विटी एक्सपोजर अधिक होता है और उम्र बढ़ने के साथ ही साथ इक्विटी में निवेश कम करके फिक्स्ड इनकम वाले एसेट्स में इनवेस्टमें बढ़ा दिया जाता है।
एक्टिव च्वायस का ऑप्शन
अगर आप एक्टिव च्वायस (Active Choice) का ऑप्शन सेलेक्ट करते हैं तो आपके अधिकतम 75 फीसदी फंड को इक्विटी में लगाया जा सकता है। इसके जरिये निवेशक लॉन्ग टर्म में इक्विटी निवेश पर मिलने वाले ऊंचे रिटर्न का लाभ ले सकते हैं। लेकिन इक्विटी में रिटर्न के साथ ही साथ रिस्क भी अधिक होता है। इसलिए उम्र बढ़ने या रिटायरमेंट करीब आने पर आप अपने एसेट अलोकेशन में बदलाव करके अपने जोखिम को जरूरत और रिस्क प्रोफाइल के हिसाब से मैनेज कर सकते हैं।
NPS में हुए बदलाव और उनके फायदे
NPS में पिछले कुछ अरसे के दौरान कई अहम बदलाव किए गए हैं, जिनके बाद यह स्कीम पहले से ज्यादा फ्लेक्सिबल और फायदेमंद हो गई है। नए नियमों के तहत आप मैच्योरिटी के बाद भी अपने एनपीएस कॉर्पस का 60 फीसदी हिस्सा स्कीम में बनाए रखकर उसे सिस्टमैटिक विथड्रॉल प्लान (SWP) की तरह कई किस्तों में निकाल सकते हैं। बाकी 40 फीसदी रकम का इस्तेमाल पेंशन या गारंटीड इनकम के लिए एन्युइटी (annuity) खरीदने में किया जा सकता है। स्कीम में एक बदलाव यह भी हुआ है कि अब आप अपने कॉर्पस के इक्विटी और डेट कंपोनेंट के लिए अलग-अलग फंड मैनेजर का चुनाव कर सकते हैं। इससे आपको अपने फंड के मैनेजमेंट में ज्यादा सक्रिय भूमिका निभाने का मौका मिलता है।
NPS में निवेश के 5 बड़े फायदे
- 1. निवेश की कम लागत : एनपीएस का एक बड़ा फायदा यह है कि इसमें किए गए निवेश को मैनेज करने की लागत बेहद कम है। किसी भी म्यूचुअल फंड की तुलना में इसकी एसेट मैनेजमेंट की लागत या एक्सपेंस रेशियो आमतौर पर सबसे कम रहता है।
- 2. टैक्स बेनिफिट : एनपीएस में निवेश का एक बड़ा लाभ इसमें निवेश पर मिलने वाला टैक्स बेनिफिट है। व्यक्तिगत टैक्स-पेयर्स को इसमें पैसे लगाने पर साल में 2 लाख रुपये तक के निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C और 80CCD के तहत टैक्स बेनिफिट मिलता है। इसके अलावा इसमें एंप्लॉयर की तरफ से किए जाने वाले कंट्रीब्यूशन पर भी टैक्स छूट मिलती है।
- 3. टैक्स-फ्री फंड ट्रांसफर : एनपीएस में निवेश का एक फायदा यह भी है कि इसमें इक्विटी से डेट ऑप्शन के बीच फंड ट्रांसफर करने पर कोई टैक्स नहीं लगता है।
- 4. लॉन्ग टर्म पर्सपेक्टिव : एनपीएस के फंड में बड़ा हिस्सा लॉन्ग टर्म लिहाज से किए गए इनवेस्टमेंट का होता है। इससे फंड मैनेजर्स को शॉर्ट टर्म दिक्कतों को नजरअंदाज करके लंबी अवधि के लिए निवेश की रणनीति बनाने में मदद मिलती है, जिसका फायदा बेहतर रिटर्न के रूप में देखने को मिल सकता है।
- 5. निवेश का अनुशासन : एनपीएस निवेशकों को अनुशासित ढंग से बचत और निवेश करने के लिए प्रेरित करता है, क्योंकि इसमें लगाए गए पैसों को आप आसानी से नहीं निकाल सकते। मैच्योरिटी से पहले पैसे निकालने की इजाजत कुछ खास परिस्थितियों और शर्तों के तहत ही मिलती है।