अब राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) पर पीपीएफ, ईपीएफ जैसे फायदे मिल सकते हैं। इसके अलावा, एनपीएस ‘टायर -2 में जमा राशि पर कुछ प्रतिबंधों के साथ धारा 80 सी के तहत लाभ लिया जा सकता है। केंद्र सरकार के कर्मचारी अब पेंशन फंड मैनेजर या अपनी पसंद के निवेश पैटर्न का चयन कर सकते हैं। 1 जनवरी, 2004 को या उसके बाद सेवा में शामिल होने वाले लगभग 18 लाख सरकारी कर्मचारियों को इसका फायदा मिलने की उम्मीद है। 18 से 60 साल की आयु के नागरिक इस योजना में निवेश कर सकते हैं। अगले वित्त वर्ष के लिए एनपीएस रेजीग के पास 2,840 करोड़ रुपये का खजाना हो सकता है।

एनपीएस के अंतर्गत खाताधारक कुल जमा में से 60 फीसदी राशि निकाल सकते हैं जबकि बाकी की 40 फीसदी राशि एन्युटी में चली जाती है। एकमुश्त निकासी पर टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाकर 60 फीसदी कर दिया गया है। यानी अब पूर्ण निकासी (60 फीसदी) कर छूट के दायरे में आएगी। वर्तमान में कुल कॉर्पस का 60 फीसद हिस्सा अगर एनपीएस सब्सक्राइबर्स निकालता था तो उसमें से 40 फीसदी राशि टैक्स फ्री रहती थी जबकि बाकी के 20 फीसदी पर टैक्स देना होता था। इस कर छूट का फायदा निकासी की सूरत में हर सेक्शन के कर्मचारी को होगा।

अब, पूरा 60 फीसदी टैक्स-फ्री होगा, जो इसे कर्मचारी भविष्य निधि और सार्वजनिक भविष्य निधि जैसी अन्य निवेश योजनाओं के बराबर लाएगा, जिनमें से दोनों संचय और निकासी में टैक्स फ्री हैं। ग्राहकों के लिए एक अन्य कर लाभ में, एनपीएस के टायर -2 के तहत योगदान अब आई-टी लाभ के उद्देश्य से 1.5 लाख रुपये तक की कटौती के लिए धारा 80 सी के तहत कवर किया जाएगा, बशर्ते तीन साल का लॉक-इन हो। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि वित्त वर्ष  2019-20 के लिए सरकार के योगदान में वृद्धि के कारण राजकोष पर प्रभाव 2,840 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कर्मचारियों के हित में बड़े बदलाव किए गए हैं।