वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को 2022-23 के लिए बजट पेश किया। इस बजट से देश का मिडिल क्लास उम्मीद लगाये बैठा था कि टैक्स स्लैब में कुछ बदलाव होंगे। हालांकि इस बजट में मध्यम वर्ग को टैक्स से संबंधित राहत नहीं मिली है। वहीं टैक्स में छूट ना मिलने को लेकर निर्मला सीतारमण ने महाभारत के श्लोक के जरिए बताया कि आखिर टैक्स में बदलाव क्यों नहीं किया।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने महाभारत के शांति पर्व के अध्याय 72 के श्लोक 11 को पढ़ते हुए कहा-

दापयित्वाकरंधर्म्यंराष्ट्रंनित्यंयथाविधि।
अशेषान्कल्पयेद्राजायोगक्षेमानतन्द्रितः॥११॥

इस श्लोक का मतलब है कि ‘किसी भी राजा को कोई ढिलाई न करते हुए और धर्म के अनुरूप करों का संग्रहण करने के साथ-साथ, राज धर्म के अनुसार शासन करके लोगों के कल्याण हेतु अवश्य व्यवस्थाएं करनी चाहिए।’

पीएम मोदी ने सराहा: बजट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “ये बजट 100 साल की भयंकर आपदा के बीच, विकास का नया विश्वास लेकर आया है। ये बजट, अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के साथ ही सामान्य मानवी के लिए, अनेक नए अवसर बनाएगा।” उन्होंने कहा कि ये बजट अधिक बुनियादी ढांचा, अधिक निवेश, अधिक विकास और और अधिक नौकरियों की नई संभावनाओं से भरा हुआ है। इससे ग्रीन जॉब्स का भी क्षेत्र और खुलेगा।

विपक्ष का हमला: बता दें कि इस बजट को भले ही केंद्र सरकार आम लोगों की भलाई वाला बजट बता रही हो लेकिन विपक्षी दलों की तरफ से इसे सही नहीं ठहराया जा रहा है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ ने कहा कि बजट में बेरोज़गारी, कृषि क्षेत्र के बारे में कुछ नहीं है। बजट में है क्या? आम नागरिक को बजट में कौनसी राहत दी गई है। बड़े-बड़े उद्योगपतियों को इससे लाभ होगा।

खड़गे ने बताया अमीरों का बजट: राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि इस साल का बजट सिर्फ अमीरों का बजट है, इसमें गरीबों के लिए कुछ भी नहीं है। पहले उन्होंने जो चीजें कही थीं, उसे दोबारा दोहराया है। उन्होंने कॉरपोरेट टैक्स घटाया, ये अमीरों का बजट है।

राकेश टिकैत ने क्या कहा: भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता किसान नेता राकेश टिकैत ने इस बजट को लेकर कहा कि बजट का कुछ न कुछ फायदा होता है लेकिन जितना दिखाया जाता है उतना फायदा नहीं होता, दिखाते ज़्यादा हैं और मिलता कम है। हमने कहा MSP गारंटी क़ानून बना दें, इस क़ानून से कम क़ीमत में फसलों की ख़रीद बंद होगी।