दस लाख रुपए से अधिक की सालाना आय वाले करदाताओं को अगले महीने से सबसिडी वाला रसोई गैस सिलेंडर (एलपीजी) नहीं मिलेगा। सरकार ने सोमवार को सबसिडी में कमी के लिए कम मूल्य के सिलेंडरों की आपूर्ति सीमित करने का फैसला किया है। फिलहाल सभी परिवारों को एक साल में 14.2 किलोग्राम के 12 रसोई गैस सिलेंडर 419.26 रुपए प्रति के मूल्य पर मिलता है। इसका बाजार मूल्य 608 रुपए है।

पेट्रोलियम मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सरकार ने संपन्न लोगों से स्वैच्छिक रूप से सबसिडी वाली एलपीजी छोड़ने और बाजार मूल्य पर सिलेंडर खरीदने को कहा था। अभी तक 15 करोड़ एलपीजी उपभोक्ताओं में से 57.5 लाख ने सबसिडी वाला सिलेंडर छोड़ा है। बयान में कहा गया है कि जहां कई उपभोक्ताओं ने स्वैच्छिक रूप से सबसिडी छोड़ी है, वहीं यह जरूरत महसूस की जा रही है कि उच्च आय वर्ग के लोगों को एलपीजी सिलेंडर बाजार कीमत पर मिलना चाहिए।

सरकार ने कहा है कि यदि उपभोक्ता या उसके पति या पत्नी की सालाना कर योग्य आय पिछले वित्त वर्ष में 10 लाख रुपए से अधिक रही है तो उनको एलपीजी सबसिडी का लाभ नहीं मिलेगा। इस आय की गणना आयकर कानून, 1961 के तहत की जाएगी। हालांकि, शुरुआत में इस योजना को जनवरी में सिलेंडर की बुकिंग कराते समय स्वघोषणा के आधार पर लागू किया जाएगा।

सबसिडी बिल में कटौती और राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने सितंबर, 2012 में प्रत्येक परिवार के लिए सबसिडी वाले सिलेंडरों की संख्या सालाना छह कर दी थी। बाद में जनवरी में इसे संशोधित कर नौ किया गया। जनवरी, 2014 में इसे एक अप्रैल से सालाना 12 सिलेंडर किया गया। सालाना 12 सिलेंडरों की सबसिडी सीधे उपभोक्ता के बैंक खाते में डाली जाती है। इसके जरिए वे बाजार मूल्य पर सिलेंडर खरीदते हैं। वित्त वर्ष 2014-15 में एलपीजी के लिए 40,551 करोड़ रुपए की सबसिडी का भुगतान किया गया। इस वित्त वर्ष में यह आधी से भी कम रहेगी क्योंकि तेल कीमतें छह साल के निचले स्तर पर आ गई हैं। अप्रैल-सितंबर के दौरान सबसिडी खर्च 8,814 करोड़ रुपए रहा है।

इस बारे में कोई अनुमान नहीं है कि कितने एलपीजी उपभोक्ताओं की सालाना कर योग्य आय 10 लाख रुपए या अधिक है। फिलहाल देश में 16.35 करोड़ एलपीजी उपभोक्ता हैं। एलपीजी के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटीएल) योजना शुरू होने के बाद यह आंकड़ा घटकर 14.78 करोड़ रह गया है क्योंकि इससे डुप्लिकेट और निष्क्रिय उपभोक्ता बाहर हो गए हैं। बयान में कहा गया है कि इस योजना का मकसद यह है कि सबसिडी लाभ लक्षित समूह तक पहुंचे। सरकार ने संपन्न लोगों से स्वैच्छिक रूप से सबसिडी छोड़ने की अपील की थी। प्रधानमंत्री की इस अपील बाद 57.50 लाख लोगों ने एलपीजी सबसिडी छोड़ी है।

सरकार के ‘गिव इट अप’ अभियान से बचने वाली सबसिडी का इस्तेमाल ‘गिव बैक’ अभियान के जरिए गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) परिवारों को नए कनेक्शन देने के लिए किया जा रहा है। इससे गरीब परिवारों को परंपरागत ईंधन मसलन मिट्टी का तेल, कोयला, ईंधन लकड़ी या गोबर आदि के बजाय एक साफ ईंधन एलपीजी के रूप में उपलब्ध कराया जा रहा है।