New Rent Rules 2025: केंद्र सरकार ने भारत में किराए के घर लेने को आसान बनाने के लिए नए रेंट रूल्स 2025 लागू किए हैं। इसके तहत, मकान मालिकों और किराएदारों दोनों को 60 दिनों के अंदर अपना रेंट एग्रीमेंट ऑनलाइन रजिस्टर करना होगा। ये नियम सिक्योरिटी डिपॉजिट की लिमिट भी तय करते हैं, यह तय करते हैं कि किराया कैसे और कब बढ़ाया जा सकता है, झगड़ों को सुलझाने के लिए टाइमलाइन तय करते हैं और घर खाली करने, रिपेयर, इंस्पेक्शन और किराएदार की सुरक्षा से जुड़े अधिकारों को साफ तौर पर समझाते हैं।

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क्या हैं नए नियमों के तहत सबसे बड़े बदलाव?

अब सभी रेंट एग्रीमेंट पर साइन करने के 60 दिनों के भीतर डिजिटली स्टैम्प लगाकर ऑनलाइन रजिस्टर करना होगा। कई राज्य पहले बिना रजिस्ट्रेशन के हाथ से लिखे कॉन्ट्रैक्ट या फिजिकल स्टाम्प पेपर एग्रीमेंट स्वीकार करते थे। इस नए नियम का मकसद रेंटल प्रोसेस को ऑफिशियल बनाना और फ्रॉड या गैर-कानूनी तरीके से घर खाली करने को रोकना है। अगर एग्रीमेंट रजिस्टर नहीं होता है, तो राज्य के हिसाब से Rs 5,000 से शुरू होने वाली पेनल्टी लग सकती है।

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सिर्फ कितने महीने का ले सकते हैं डिपॉजिट?

रहने वालों के विए मकान मालिक डिपॉज़िट के तौर पर दो महीने से ज्यादा का किराया नहीं ले सकते। कमर्शियल जगहों के लिए, यह लिमिट छह महीने है। किराया सिर्फ 12 महीने बाद ही बढ़ाया जा सकता है और मकान मालिक को बढ़ोतरी से कम से कम 90 दिन पहले लिखकर नोटिस देना होगा।

कैसे करते हैं ये नियम किराएदारों की सुरक्षा?

नए रेंट रूल्स किराएदारों को ज्यादा मजबूत कानूनी सुरक्षा देते हैं। मकान मालिक रेंट ट्रिब्यूनल से ऑफिशियल इविक्शन ऑर्डर के बिना किराएदारों को खाली करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते। मकान मालिक को घर में घुसने या इंस्पेक्शन करने से कम से कम 24 घंटे पहले लिखकर नोटिस भी देना होगा, ताकि किराएदार की प्राइवेसी बनी रहे।

किराएदारों का पुलिस वेरिफिकेशन होना चाहिए, जिससे सही रिकॉर्ड बनाने और किराए की प्रॉपर्टी के गलत इस्तेमाल से बचने में मदद मिलती है। किसी भी तरह से जबरदस्ती या बिजली या पानी जैसी बेसिक सर्विस काटना अब कानून के तहत सजा का प्रावधान है।

अगर किसी जरूरी रिपेयर की जरूरत है और मकान मालिक बताने के 30 दिनों के अंदर उसे ठीक नहीं करता है, तो किराएदार उसे रिपेयर करवा सकता है और खर्च का प्रूफ देकर किराए से उसका खर्च काट सकता है।