इंटरनेट पर डाटा लेनदेन की सुविधा को किसी भी तरह के पक्षपात से मुक्त रखने के बारे में सुझाव देने के लिए बनाई गई सरकारी समिति ने कहा है कि स्काइप, वाट्सऐप और वाइबर जैसे ऐप की मदद से इंटरनेट पर स्थानीय कॉल को दूरसंचार सेवा कंपनियों की सामान्य फोन कॉल सेवाओं के समान मान कर उनका उसी तरह नियमन होना चाहिए।
इस समिति ने फेसबुक की इंटरनेटडॉटऑर्ग जैसी परियोजनाओं पर रोक लगाने की सिफारिश की है जो कुछ वेबसाइटों से संपर्क के लिए ग्राहकों से मोबाइल डेटा शुल्क नहीं लेतीं। उसका सुझाव है कि उसी तरह की एअरटेल जीरो जैसी योजनाओं को ट्राई की पूर्व अनुमति के बाद ही लागू करने की छूट होनी चाहिए।
दूरसंचार विभाग के तकनीकी सलाहकार एके भार्गव की अध्यक्षता वाली इस समिति ने कहा है कि ‘ओवर-दी-टॉप (ओटीटी) वॉयस ऑन इंटरनेट प्रॉटॉकोल पर अंतरराष्ट्रीय कॉल सेवाओं को लेकर उदार दृष्टिकोण अपनाया जा सकता है। लेकिन स्थानीय और राष्ट्रीय घरेलू कॉल के मामले में दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और ओटीटी संचार सुविधाओं को फिलहाल नियामकीय दृष्टि से समान रूप से देखा जा सकता है।’
इंटरनेट को निरपेक्ष रखने की अवधारणा का अर्थ है कि इंटरनेट पर सभी प्रकार के ध्वनि और आंकड़ों के प्रसार के साथ बराबर का व्यवहार होना चाहिए और सेवा प्रदाता या इंटरनेट सामग्री प्रदाता को दिए जाने वाले भुगतान के आधार पर किसी कंपनी या इकाई को प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए।
देश में ‘एअरटेल जीरो’ सेवा प्लेटफॉर्म शुरू किए जाने के बाद नेट निरपेक्षता पर बहस छिड़ गई। इस प्लेटफार्म के जरिए एअरटेल ने अपने नेटवर्क की कुछ वेबसाइटों को संपर्क शुल्क मुक्त रखने की पेशकश की है, लेकिन बेबसाइटों को इस प्लेटफार्म से जुड़ने के लिए एअरटेल को शुल्क देना होगा।
समिति ने नेट निरपेक्षता के मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोपरि बताते हुए कहा है कि ओटीटी सेवा प्रदाताओं पर सुरक्षा संबंधी उपाय लागू होने चाहिए। उसने इससे संबंधित शर्तें अंतर-मंत्रालयी विचार-विमर्श से तय करने को कहा है। पर इसने यह भी कहा है कि कुछ खास ओटीटी संचार सेवाएं जो केवल मेसेजिंग सेवा कारोबार में हैं, उनमें नियामकीय हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।
ट्राई के डाटा के अनुसार सेवा प्रदाताओं की कॉल और मैसेज की दरों और ओटीटी से इन सेवाओं की दरों में क्रमश 12.5 गुना और 16 गुना का अंतर है। ओटीटी सेवा प्रदाताओं की सेवा दरें सस्ती पड़ती हैं। उदाहरण के लिए एक मिनट की कॉल के लिए सामान्य नेटवर्क ग्राहक से करीब 50 पैसे वसूलता है जबकि इंटनेट के जरिए यही कॉल 4 पैसे में पड़ती है।
समिति का कहना है कि दूरसंचार सेवा कंपनियों पर वित्तीय दबाव है। उसने उनके लिए समानता के अवसर पर जोर देते हुए कहा है कि ओटीटी ऑपरेटर दूरसंचार सेवा कंपनियों की आय में सेंध लगा रहे हैं। दूरसंचार सेवा कंपनियों का कहना है कि उन्होंने 7.5 लाख करोड़ रुपए का निवेश कर रखा है और पांच साल में उन्हें और पांच लाख करोड़ रुपए का निवेश करना होगा।