कालेधन पर गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने क्रिकेट और विशेषकर इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में सट्टेबाजी में कालेधन के इस्तेमाल को देखते हुये सरकार से इसे रोकने के लिये प्रभावी उपाय करने को कहा है।
एसआईटी ने शुक्रवार को सौंपी अपनी तीसरी रिपोर्ट में कहा है, ‘‘इस बात को ध्यान में रखते हुये कि इस क्षेत्र में काफी मात्रा में कालेधन का इस्तेमाल और इसका सृजन होता है, यह सुझाव दिया जाता है कि कोई उपयुक्त विधायी दिशा अथवा नियम या फिर नियमन की इस तरह की सट्टेबाजी की समस्या को समाप्त करने के लिये जरूरत है।’’
‘‘यह स्पष्ट है कि क्रिकेट में सट्टेबाजी की अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिये कोई प्रावधान किया जाना चाहिये जिससे कि इससे सभी दूर रहें।’’
न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) एम.बी. शाह के नेतृत्व वाले विशेष जांच दल ने एक अध्ययन का हवाला देते हुये कहा खेल में सट्टेबाजी अवैध है और यह इसमें कालेधन के इस्तेमाल की व्यापक संभावनाये पैदा करती है।
भारत में राज्य सरकारों द्वारा अयोजित घोड़ों की दौड़, लॉटरी तथा कुछ राज्यों में जुआघरों (कैसिनो) में ही दांव लगाने की अनुमति है। वर्ष 2012 की फिक्की और केपीएमजी की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में सट्टेबाजी का बाजार करी 3 लाख करोड़ रुपए का है और यदि इस पर 20 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता है तो सरकारी खजाने में 12,000 से लेकर 19,000 करोड़ रुपए प्राप्त होंगे।
एसआईटी रिपोर्ट में इस बात पर भी गौर किया गया है कि आईपीएल में सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग का दाग लगता रहा है जिसमें भारी मात्रा में कालेधन का इस्तेमाल होता है। ‘‘समाचार रिपोर्टों के अनुसार कुछ खिलाडियों को बीसीसीआई द्वारा तय भुगतान स्लैब से ज्यादा भुगतान किया जाता है। इसमें कुछ राशि वैध तरीके से और बाकी कालेधन में दी जाती है।’’