Indian economy, Power demand: भारत में बिजली की मांग घटी है। इस साल अक्टूबर की बात करें तो पिछले साल के मुकाबले बिजली की मांग में 13.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। यह पिछले 12 साल में हुई सबसे बड़ी मासिक गिरावट है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सरकारी आंकड़ों के हवाले से यह रिपोर्ट छापी है। कहा जा रहा है कि ये आंकड़े एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यानी भारत में मंदी के गहराते संकट का सबूत देते हैं।

कहना गलत नहीं होगा कि भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए बिजली की जरूरत है लेकिन हाल के महीनों में बिजली उपभोग में यह तीसरी बार गिरावट इस बात की ओर इशारा करते हैं कि देश की औद्योगिक गतिविधियां मंद पड़ रही हैं। ऐसे में केंद्र सरकार के 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी खड़ी करने के सपने को झटका लग सकता है।

कंज्यूमर डिमांड और सरकारी व्यय में आई गिरावट के बीच जून तिमाही में जीडीपी छह साल के सबसे सुस्त रफ्तार से आगे बढ़ी है। वहीं, अर्थव्यवस्था के जानकार अब बिजली की डिमांड में कमी को आने वाले वक्त मंदी के कायम रहने से जोड़कर देख रहे हैं। नई दिल्ली स्थित नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के प्रोफेसर एनआर भानुमूर्ति का कहना है, ‘ऐसा लगता है कि मंदी ने बेहद गहरी जड़ें जमा ली हैं, खास तौर पर इंडस्ट्रियल सेक्टर में। निश्चित तौर पर इस साल यह स्थिति इकोनॉमिक ग्रोथ के संदर्भ में बेचैनी बढ़ाने वाली है।’

आंकड़ों की बात करें तो उद्योगों से समृद्ध महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में बिजली के इस्तेमाल में कमी देखने को मिली है। पिछले महीने महाराष्ट्र में पावर डिमांड में 22.4 प्रतिशत जबकि गुजरात में 18.8 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के आंकड़ों से इस बात का खुलासा हुआ है। डेटा के मुताबिक, देश के उत्तर और पूर्व में स्थित चार छोटे राज्यों को छोड़ दें तो सभी क्षेत्रों में मांग में गिरावट देखने को मिली है।

भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर आउटपुट के क्षेत्र में सितंबर महीने में 5.2 प्रतिशत का संकुचन देखने को मिला है, जो 14 साल में सबसे खराब हालात है। इसकी वजह से सरकार की चिंताएं और बढ़ गई हैं क्योंकि उसने पिछले कुछ महीनों में डिमांड में बढ़ोत्तरी के लिए कई कदम उठाए हैं।