जेट एयरवेज वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही है। हालांकि, शुरुआत से ऐसा नहीं था। एक वक्त ऐसा भी रहा, जब इसके संस्थापक नरेश गोयल ने दो दशक तक भारतीय उड्डयन के क्षेत्र में अपनी कामयाबी का लोहा मनवाया। जेट एयरवेज से उनके इस्तीफे के साथ ही उस युग का एक तरह से अंत हो गया। नरेश गोयल की कहानी जमीन से आसमान तक पहुंचने की रही है। कभी वो अपने चाचा के ट्रैवल एजेंसी में कैशियर का काम करते थे। गोयल बतौर सेल्स एजेंट दूसरी एयरलाइंस कंपनियों की सीट्स और कार्गो लोड्स की बुकिंग किया करते थे।
गोयल ने 1993 में जेट एयरवेज को लॉन्च किया। यह वो वक्त था, जब कुछ दूसरी प्राइवेट एयरलाइंस कंपनियां भी बाजार में थीं। हालांकि, आखिर तक रेस में जेट ही टिकी रही। मसलन 1992 में शुरू हुई ईस्ट वेस्ट एयरलाइंस चार साल बाद ही बंद हो गई। गोयल ने एविएशन सेक्टर के बेहतरीन लोगों को अपनी कंपनी से जोड़ा। बाद में अपने विजन और कारोबारी हुनर की बदौलत जेट एयरवेज की मजबूत नींव रखी।
बताया जाता है सेल्स एजेंट के तौर पर काम करने के दौरान गोयल ने दुनिया भर की एयरलाइंस कंपनियों के बीच अच्छी छवि बनाई। वह इंटरनैशनल एयर ट्रांसपोर्ट असोसिएशन के एनुअल जनरल मीटिंग में भी जाने लगे। इस कार्यक्रम में दुनिया की 250 से ज्यादा कंपनियां जुटती थीं। यह गोयल के कारोबारी हुनर का ही कमाल था कि उन्होंने दूसरी कंपनियों से गठजोड़ करने में बड़ी कामयाबी हासिल की।
उन्होंने 2013 में दिग्गज एयरलाइंस कंपनी इतिहाद एयरवेज के जरिए 379 मिलियन डॉलर का निवेश हासिल किया। नियमों में छूट मिलने के बाद यह एयरलाइंस में पहला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश था। बाद में गोयल की कंपनी ने 2017 में एयर फ्रांस-केएलएम के साथ बड़ा व्यसायिक समझौता किया।
गोयल को भारतीय एविएशन सेक्टर में कई नई तरह की सेवाएं शुरू करने का क्रेडिट जाता है। 24 घंटे रिजर्वेशन, टेली चेकइन सुविधा, फ्रीक्वेंट फ्लायर प्रोग्राम, को ब्रांडेड क्रेडिट कार्ड, इन फ्लाइट एंटरटेनमेंट स्ट्रीमिंग जैसी सुविधाएं सबसे पहले देने का श्रेय उनकी कंपनी को ही जाता है।