केंद्र सरकार के एक फैसले से देश में 3 करोड़ औद्योगिक मजदूरों की सैलरी में इजाफा हो सकता है। दरअसल सरकार औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार वर्ष को बदलने जा रही है। अब तक इसके लिए आधार वर्ष 2001 को माना जाता था, लेकिन अब सरकार ने बेस ईयर 2016 करने का फैसला लिया है। इस संबंध में जल्दी ही नोटिफिकेशन जारी किया जा सकता है। 2001 के बाद से ही औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में बदलाव नहीं हुआ है, जबकि हर 5 साल में यह अपडेट होना चाहिए। सरकार के इस कदम से लाखों औद्योगिक श्रमिकों, सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों को फायदा मिलेगा।

इंडस्ट्रियल वर्कर्स उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का इस्तेमाल सरकारी कर्मचारियों के डीए, पेंशनर्स के डीआर और औद्योगिक मजदूरों की सैलरी के निर्धारण के लिए किया जाता है। अगले सप्ताह केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री की ओर से सितंबर 2020 का सूचकांक जारी किया जा सकता है।

यदि केंद्र सरकार बेस ईयर बदलती है तो 3 करोड़ औद्योगिक मजदूरों और 48 लाख केंद्रीय कर्मचारियों को इसका फायदा होगा। एक अधिकारी के मुताबिक सरकार की ओर से नए इंडेक्स में हेल्थकेयर, एजुकेशन, ट्रांसपोर्ट, अर्बन हाउसिंग, मोबाइल फोन आदि के खर्च को शामिल किया जा सकता है।

क्या है औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक: श्रम एव रोजगार मंत्रालय से जुड़ा हुआ श्रम ब्यूरो देश के औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण 78 केंद्रों के 289 बाजारों से एकत्रित किए गए चयनित वस्तुओं की खुदरा कीमतों के आधार पर प्रत्येक माह औद्योगिक कामगारों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का संकलन करता है। सूचकांक को 78 केंद्रों और पूरे भारत के लिए संकलित किया जाता है और इसे सफल महीने के अंतिम कार्य दिवस पर जारी किया जाता है।