सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी इंफोसिस के सह संस्थापक और देश में आधार कार्ड योजना के सूत्रधार नंदन नीलेकणी ने पिछले एक साल के दौरान 11 स्टार्टअप्स में 50 मिलियन डॉलर(तीन अरब से अधिक) का निवेश किया है तथा 25 मिलियन डॉलर(1.5 अरब से अधिक) और निवेश करने की बात कही है। इस संबंध में नीलेकणी कहते हैं, ‘स्टार्टअप्स में निवेश करने से मेरा कारोबारी दिमाग सक्रिय रहता है और इन नए उद्यमों को भी विकास करने में मदद मिलती है। नीलेकणी ने बताया कि इंफोसिस और भारत सरकार के साथ अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने अन्य किसी भी टेक्नॉलजी कंपनी में निवेश नहीं किया।
नीलेकणी के आलावा देश के अन्य कई बड़े उद्योगपतियों ने पिछले एक साल के दौरान स्टार्टअप्स में निवेश किया है। इनमें रतन टाटा ने इस साल 16 स्टार्ट अप्स में, मोहनदास पई ने 9 स्टार्टअप्स में, शादी डॉट कॉम के संस्थापक अनुपम मित्तल ने 8 स्टार्टअप्स में और गूगल के भारत में मैंनेजिंग डाइरेक्टर रंजन आनंदन ने सात सटार्टअप्स में निवेश किया है। इस साल इंडियन ऐंजल नेटवर्क ने सबसे अधिक 21 स्टार्टअप्स में निवेश किया है। बड़े एंजेल निवेशक आमतौर पर स्टार्टअप्स में कम राशि निवेश करते हैं। उदाहरण के लिए रतन टाटा ने 16 स्टार्टअप्स में मात्र एक से दो लाख डॉलर के बीच निवेश किया है। वहीं, इसके उलट नंदन नीलेकणी ने पहले ही बहुत बड़ी राशि स्टार्टअप्स में निवेश की है और अभी और राशि निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है। नंदन नीलेकणी ने कहा कि वह अपनी कुल संपत्ति का 5 प्रतिशत स्टार्टअप्स में निवेश करेंगे।
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नीलेकणी कहते हैं, ‘सिलिकन वैली (बेंगलूरु) उन निवेशकों की बदौलत फल-फूल रहा है, जिन्होंने स्टार्टअप में पुनर्निवेश किया है और उन्हें कौशल, पूंजी, ज्ञान और विशेषज्ञता के रूप में अपनी मदद दी है।’ उनका मानना है कि पारिवारिक कारोबारों और दूसरी पीढ़ी के उद्यमियों के निवेश से भारत में स्टार्टअप्स का प्रसार हो रहा है। उन्होंने कहा कि वह आधार या फाइनेंशियल टेक्नॉलजी से जुड़े किसी भी स्टार्टअप में निवेश नहीं करते हैं। नीलेकणी ने शिक्षा के क्षेत्र में निवेश नहीं किया है लेकिन, वह जन कल्याणकारी परियोजनाओं में निवेश करने में दिलचस्पी लेते हैं। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा को बढ़ाव देने के लिए अपनी पत्नी रोहिणी और शंकर मारुवडा के साथ शुरू किए गए एनजीओ ‘एक-स्टेप’ में 10 मिलियन डॉलर का निवेश किया है। नीलेकणी का यह एनजीओ देश के दूर दराज के क्षेत्रों में प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक अन्य संस्था ‘प्रथम’ के साथ मिलकर 4 राज्यों में काम करता है। उनके एनजीओ ‘एक-स्टेप’ के एप का एक लाख से अधिक बच्चों द्वारा उपयोग किया जा रहा है।
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नंदन नीलेकणी ने 1999 के बाद से कई जन कल्याणकारी प्रोजेक्ट्स के लिए दान दिया है। उन्होंने बेंगलुरु में स्थापित हो रहे विश्वविद्यालय ‘इंडियन इंस्टिट्यूट आॅफ ह्यूमन सेटलमेंट’ को 50 करोड़ रुपए की फंडिंग की है। नीलेकणी ‘नेशनल काउंसिल आॅफ अप्लाएड इकोनॉमिक रिसर्च’ (एनसीएईआर) की गवर्निंग बॉडी के प्रसिडेंट भी हैं और उन्होंने इस संस्था की नई बिल्डिंग के निर्माण में 50 करोड़ रुपए की मदद की है। पिछले सप्ताह ही नीलेकणी ने रतन टाटा और पूर्व वित्त सचिव विजय केलकर के साथ मिलकर देश में पिछड़े क्षेत्रों को समय पर किफायती ऋण उपलब्ध कराने के लिए तकनीक आधारित कंपनी ‘अवंति फाइनेंस’ शुरू करने की घोषणा की है।
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