रूस-यूक्रेन वॉर के बीच अमेरिकी बैंकों का एक पैंतरा फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (एफपीआई) के लिए खासा सिरदर्द साबित हुआ। लेकिन उनकी उलझन का खामियाजा भारत के शेयर बाजार को उठाना पड़ रहा है। अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में बढ़ोतरी की आशंका के बीच विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजारों से 45 सौ करोड़ निकाल लिए। उनका ये कदम भारत के लिए गहरा झटका है।
एफपीआई ने इससे पहले एक से आठ अप्रैल के दौरान भारत के बाजार में 7,707 करोड़ रुपये का निवेश किया था। उस समय बाजार में करेक्शन की वजह से एफपीआई को खरीदारी का अच्छा अवसर मिला था। हालांकि, इससे पहले मार्च 2022 तक छह माह के दौरान एफपीआई ने शेयर बाजार से 1.48 लाख करोड़ रुपये की भारी भरकम रकम निकाली थी। इसकी मुख्य वजह अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में वृद्धि की संभावना और यूक्रेन पर रूस का सैन्य हमला था।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक एफपीआई ने 11-13 अप्रैल को कम छुट्टियों वाले कारोबारी सप्ताह के दौरान भारतीय शेयर बाजारों से 4,518 करोड़ रुपये की निकासी की है। बृहस्पतिवार को बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर की जयंती थी तो शुक्रवार को गुड फ्राइडे के चलते शेयर बाजार बंद रहे थे। हालांकि भारतीय बाजार को उम्मीद है कि यूक्रेन संकट कम होने के बाद एफपीआई बड़े स्तर पर भारत वापस आएंगे।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक- प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक के ब्याज दरें बढ़ाने की संभावना की वजह से एफपीआई ने भारत जैसे उभरते बाजारों में अपने निवेश के प्रति सतर्क रुख अपनाया है। पिछले सप्ताह एफपीआई ने ऋण या बांड बाजार से 415 करोड़ रुपये निकाले। पिछले सप्ताह उन्होंने बांड बाजार में 1,403 करोड़ रुपये डाले थे। उनका कहना है कि एफपीआई की बिकवाली वैश्विक बाजारों की गिरावट के अनुरूप है।