अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कॉम्युनिकेशंस पर बकाया एजीआर का मसला अब मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस जियो के लिए भी मुश्किल खड़ी करता दिख रहा है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में गेंद अब सरकार के पाले में डालते हुए कहा है कि वह बताए कि क्या रिलायंस जियो को आरकॉम का बकाया एजीआर अदा करना चाहिए। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जियो से यह पूछा था कि क्या आप आरकॉम के बकाये को भरेंगे? कोर्ट ने कहा था कि आपकी आरकॉम से डील हुई है और बीते तीन सालों से आप स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल कर रहे हैं। आखिर आपको यह बकाया रकम क्यों नहीं अदा करनी चाहिए। बता दें कि रिलायंस कॉम्युनिकेशंस पर करीब 31,000 करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि टेलिकॉम विभाग को यह बताना चाहिए कि आरकॉम की देनदारी रिलायंस जियो को अदा करनी चाहिए या नहीं। मुकेश अंबानी ने अपने भाई अनिल अंबानी की कंपनी से 2016 में 17 सर्कलों में स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल करने की डील की थी। कंपनी ने 4जी सेवाओं के लिए यह डील की थी। रिलायंस जियो का तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट में जिस बकाये की सुनवाई चल रही है, वह 2017 से पहले का है, तब रिलायंस जियो ने स्पेक्ट्रम का यूज नहीं किया था। ऐसे में रिलायंस जियो पर बकाया चुकाने की जिम्मेदारी नहीं आती।

शीर्ष अदालत ने बीते साल अक्टूबर में टेलिकॉम कंपनियों पर एजीआर बकाये को लेकर जब फैसला लिया था तो उसमें वोडाफोन आइडिया के अलावा आरकॉम भी शामिल थी। टेलिकॉम डिपार्टमेंट की ओर से पिछले दिनों जारी आंकड़े के मुताबिक आरकॉम पर 25,194.58 करोड़ रुपये एजीआर का बकाया है। हालांकि अब यह रकम बढ़कर करीब 31,000 करोड़ रुपये हो गई है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जियो भी स्पेक्ट्रम को साझा कर रही है, ऐसे में बकाया रकम को चुकाने की जिम्मेदारी उस पर भी बनती है।

बेंच ने आरकॉम की दिवालिया प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया है। अदालत ने सवाल किया है कि आखिर दिवालिया प्रक्रिया के तहत रिलायंस कॉम्युनिकेशंस स्पेक्ट्रम कैसे बेच सकती है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि आरकॉम स्पेक्ट्रम बेच देती है तो फिर आप उस पर बकाया एजीआर को कैसे वसूलेंगे।