सीमा पर चीन से तनाव के बीच भारत में स्वदेशी को लेकर एक बार फिर से माहौल बन रहा है। चीनी सामान के बहिष्कार से लेकर टेंडर तक कैंसल करने की मांग उठ रही है। देश की तमाम ऐसी कंपनियां हैं, जिनमें चीनी कंपनियों ने बड़ा निवेश किया है। हालांकि मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाला रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ग्रुप लंबे समय से चीन मुक्त कारोबार की रणनीति पर काम कर रहा है। इसी साल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत में मुकेश अंबानी ने कहा था कि रिलायंस जियो दुनिया में इकलौता ऐसा नेटवर्क है, जिसमें किसी चीनी इक्विपमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है। दरअसल ट्रंप ने मुकेश अंबानी से पूछा था, ‘आप 4जी पर काम कर रहे हैं। क्या आप 5जी पर भी जाने की तैयारी कर रहे हैं।’

इसके जवाब में मुकेश अंबानी ने कहा था कि हम 5जी में भी जाने की तैयारी कर रहे हैं। हम दुनिया में अकेला ऐसा नेटवर्क हैं, जिसमें किसी चीनी कंपोनेंट का यूज नहीं किया गया है। इससे पहले अमेरिका की ओर से भारत पर दबाव डाला जा रहा था कि 5जी तकनीक पर जाने के लिए वह चीन की कंपनी Huawei को दूर रखे। हालांकि भारत ने 5 जी के ट्रायल के लिए Huawei और ZTE को अनुमति दी थी।

बता दें कि अमेरिकी सरकार ने चीन की टेलिकॉम कंपोनेंट तैयार करने वाली कंपनियों Huawei और ZTE को सुरक्षा के लिए खतरा करार दिया था। अमेरिका का कहना था कि चीन सरकार के आदेश पर ये कंपनियां अपने इक्विपमेंट्स के जरिए जासूस कर रही हैं।

अमेरिका के अलावा उसके सहयोगी देशों ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान और ताइवान ने भी अपने 5जी नेटवर्क से चीन की इन दो कंपनियों को दूर रखा है। हालांकि ब्रिटेन ने नॉन-कोर आइटम्स को बेचने की अनुमति दी है। गौरतलब है कि इस बीच रिलायंस की ओर से 5 जी प्रोडक्ट्स की लैब टेस्टिंग की अनुमति मांगी है। यही नहीं रिलायंस जियो की प्रतिद्वंद्वी कंपनियों एयरटेल, वोडाफोन की ओर से भी परमिशन की मांग की गई है, लेकिन अब तक टेलिकॉम विभाग ने कोई फैसला नहीं लिया है।