सुप्रीम कोर्ट की तरफ AGR (Adjusted Gross Revenues) के मुद्दे पर दिए गए फैसले से दिग्गज टेलीकॉम कंपनियों Airtel और Vodafone Idea के लिए आर्थिक परेशानी खड़ी हो गई है। शीर्ष अदालत के फैसले के बाद इन एयरटेल को लगभग 21 हजार करोड और वोडाफोन आइडिया को 28 हजार करोड़ रुपये का भुगतान करना है।
इन कंपनियों ने सरकार से इस मामले में राहत की गुहार लगाई है। भारती एयरटेल के मालिक सुनील मित्तल ने इस संबंध में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के साथ ही दूरसंचार विभाग के सचिव से मुलाकात की थी। इस बीच मुकेश अंबानी की कंपनी जियो की तरफ से दिग्गज अरबपति कारोबारियों को कर्ज को चुकाने का तरीका सुझाया है।
इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार रिलायंस जियो के नियामक मामलों के अध्यक्ष कपूर सिंह गुलियानी ने कहा है कि यदि एयरटेल चाहे तो अपनी संपत्तियों के महज एक छोटे से हिस्से को बेचकर इस रकम को चुका सकती है। इसके अलावा एयरटेल अपने इंडस टावर बिजनेस में 15-20 फीसदी नई इक्विटी के जरिये सरकार को इस राशि का भुगतान कर सकता है। गुलियानी ने अपने पत्र में कहा कि इंडस टावर्स में वोडाफोन की भी हिस्सेदारी है। ऐसे मे उसे भी बकाया चुकाने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
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दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद को लिखे गए पत्र में रिलायंस जियो ने कहा है कि इन दूरसंचार कंपनियों के पास बकाया चुकाने की पर्याप्त वित्तीय क्षमता है। जियो की तरफ से पत्र में कहा गया कि सीओएआई अपने दो चुनिंदा सदस्यों को सरकार से वित्तीय राहत दिलाने में मदद के लिए वास्तव में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ जाने की कोशिश कर रहा है।
जियो की तरफ से कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम ऑपरेटर्स की तरफ से पेश किए गए सभी बेबुनियाद तर्कों को निष्पक्ष और स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया गया था। इसके साथ ही कंपनियों को बकाया चुकाने के लिए तीन महीने का समय भी दिया गया है। जियो का कहना है यदि इन कंपनियों का बकाया में राहत देने से गलत परंपरा की शुरुआत होगी।