वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि बैंकिंग सूचनाओं के स्वचालित आदान प्रदान की अंतरराष्ट्रीय प्रणाली के लागू होने के साथ एक दो साल में कर-चोरी और मनी लांड्रिंग (अपराध की कमाई को वैध करना) ‘बेहद मुश्किल’ हो जाएगा। जेटली ने पूरे भरोसे से कहा कि चीजें जिस दिशा में बढ़ रही हैं उसके परिणाम साल दो साल में आने वाले हैं क्योंकि सूचनाएं करीब करीब ‘तत्काल’ मिलने लगेंगी और उससे ‘जहां तक कानून का उल्लंघन करने वालों का सवाल है तो उनका जीवन दुश्वार हो जाएगा।’
जेटली यहां ‘जालों का जाल’ विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन कर रहे थे। वित्त मंत्री ने कहा कि विकसित और विकासशील देशों के समूह जी20 की पहल के बाद कर चोरी और अवैध धन का निवेश करना मुश्किल होने लगा है। उन्होंने कहा कि गड़बड़ी रोकने के प्रयास में कई अंतरराष्ट्रीय एजंसियां भी जुड़ चुकी है।
जेटली ने कहा, ‘दुनिया अब एक ऐसी व्यवस्था की ओर बढ़ रही है जहां आप अपने लाभ की कमाई को उस देश की जगह किसी और क्षेत्र में नहीं दिखा सकेंगे जहां आप ने उसे वास्तव में कमाया है।’ उन्होंने कहा कि लाभ को दूसरी जगह दिखाने से वास्तविक देश के कराधान का क्षरण होता है। गौरतलब है कि बीते साल नवंबर में आस्ट्रेलिया में हुए जी20 शिखर सम्मेलन में नेताओं ने पारदर्शिता के नए मानकों का अनुमोदन किया। इसके तहत 90 से अधिक देश और स्वतंत्र न्यायिक क्षेत्र 2017-18 से कर संबंधी सूचनाओं की एक स्वचालित आदान प्रदान प्रणाली शुरू कर देंगे और इसमें सूचनाओं को प्रस्तुत करने के मानक एक समान होंगे। भारत इस प्रणाली का अनुमोदन करने वाले प्रारंभिक देशों में है।
वित्त मंत्री जेटली ने कहा कि मनी लांड्रिंग और कर चोरी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग मजबूत करने के लिए एक दक्षिण एशियायी क्षेत्रीय सहयोग केंद्र स्थापित करने के मुद्दे पर भी इस बैठक में चर्चा होगी। प्रस्तावित दक्षिण एशियाई आसूचना सहयोग केंद्र में भारत सहित क्षेत्र के सात देश सदस्य हो सकते हैं।
राजस्व सचिव हसमुख अधिया के अनुसार भारत के अलावा इनमें नेपाल, भूटान, म्यांमा, बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव के जुड़ने की संभावना है। अधिया ने कहा कि इस केंद्र के चालू होने पर ‘दक्षिण एशियायी क्षेत्र अन्य क्षेत्रीय और वैश्विक मंचों से जुड़ जाएगा और वैश्विक अपराधों से निपटने के लिए सूचनाओं के आदान प्रदान की जल्द और सुरक्षित व्यवस्था बन सकेगी।’
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