केंद्र सरकार ने ग्रीनपीस इंडिया के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए छह महीने के लिए इसका लाइसेंस निलंबित कर दिया है और इस गैर सरकारी संगठन को मिलने वाले विदेशी अनुदान पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी व उसके सभी खातों को सील कर दिया। ग्रीनपीस इंडिया ने सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि वह ‘असहमति के खिलाफ अभियान’ से ‘झुकने वाला’ नहीं है और इस मामले में कानूनी सलाह ले रहा है।
देश की जनता और आर्थिक हितों को ‘नुकसानदेह’ तरीके से प्रभावित करने का आरोप लगाते हुए सरकार ने गुरुवार को ग्रीनपीस को नोटिस जारी कर यह भी पूछा है कि क्यों न उसका पंजीकरण रद्द कर दिया जाए। गृह मंत्रालय ने यह मालूम होने के बाद कि ग्रीनपीस इंडिया ने ‘विदेशी चंदा नियमन अधिनियम के उल्लंघन में पूर्वग्रह के साथ जनहित और देश के आर्थिक हितों को प्रभावित किया, इस गैर सरकारी संगठन के लाइसेंस को निलंबित करने सहित उपरोक्त तमाम फैसले किए। उसके सात बैंक खातों को भी सील कर दिया गया है। एक अधिकारी के अनुसार ग्रीनपीस इंटरनेशनल की भारतीय इकाई को पिछले सात सालों में 53 करोड़ रुपए मिले हैं ।
पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाले इस गैर सरकारी संगठन ने कहा कि इस सिलसिले में उसे गृह मंत्रालय से अभी तक आधिकारिक सूचना नहीं मिली है। संस्था ने इसे ‘कलंकित’ करने वाला अभियान करार देते हुए भारत में स्वच्छ हवा, पानी और समग्र विकास के लिए काम करते रहने का संकल्प जताया।
गैरसरकारी संगठन की गतिविधियों की छह माह से अधिक समय तक की गई जांच के बाद ग्रीनपीस इंडिया पर तैयार एक दस्तावेज में गृह मंत्रालय ने कहा है कि विदेशी धन का इस्तेमाल सरकारी नीतियों के निर्माण को प्रभावित करने और उसके लिए लॉबिंग करने में किया गया। ग्रीनपीस को भेजे नोटिस में मंत्रालय ने कहा है: ऐसा पाया गया है कि सरकार की अनुमति या उसे सूचना दिए बिना एक खाते से दूसरे खाते में धन स्थानांंतरित किया गया और कई खातों में कई प्रविष्ठियां की गईं।
गैर सरकारी संगठनों को मिलने वाले अनुदान को लेकर नियमों को सरकार की ओर से सख्त किया गया है। दरअसल, सुरक्षा एजंसियों का आरोप है कि करीब 200 विदेशी दानदाता इन संगठनों को चंदा देने की आड़ में धनशोधन में लगे हुए हैं। केंद्रीय खुफिया एजंसियों ने गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के साथ 188 विदेशी दानदाताओं की सूची साझा की है ताकि उनकी ओर से दिए जाने वाले अनुदान पर नजर रखी जा सके।
इस बीच एनजीओ की तरफ से जारी बयान में कहा गया, ‘ग्रीनपीस इंडिया को अभी तक गृह मंत्रालय से कोई सूचना नहीं मिली है। ग्रीनपीस इंडिया के कार्यकारी निदेशक समित आईच ने कहा, हम भारतीय कानून व्यवस्था में विश्वास करते हैं। असहमति के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन हम नहीं झुकेंगे।
ग्रीनपीस इंडिया के कार्यकारी निदेशक समित आईच ने कहा कि यह पूरी तरह साफ है कि हमें बदनाम किया जा रहा है। जब हम केंद्र सरकार के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट गए थे। उस समय ये सारी बातें अदालत के सामने रखी गई थीं। उसके बाद ही अदालत ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया था। हमारा भारतीय कानून व्यवस्था पर पूरा भरोसा है। सरकार असहमति के खिलाफ गैरजरूरी अभियान छेड़ रही है। फिर भी हम लोग इससे पीछे नहीं हटेंगे।
20 जनवरी को दिल्ली हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय को ग्रीनपीस इंटरनेशनल और क्लाईमेट वर्क फाउंडेशन से मिले अनुदान को ग्रीनपीस इंडिया के खाते में जमा करने का आदेश देते हुए मंत्रालय की कार्रवाई को मनमाना, गैरकानूनी और असंवैधानिक बताया था। हाईकोर्ट का मानना था कि गृह मंत्रालय ने अपने उत्तर में इस बात को स्वीकार किया था कि ग्रीनपीस इंडिया को ग्रीनपीस इंटरनेशनल को छोड़कर सभी विदेशी एजंसियों से फंड लेने का अधिकार है।
गृह मंत्रालाय ने अपनी दलील में कहा था कि ग्रीनपीस इंटरनेशनल को निगरानी सूची में रखा गया है, लेकिन अदालत ने सरकार की उस दलील को खारिज करते हुए कहा था कि उनके पास ग्रीनपीस इंटरनेशनल के खिलाफ किसी भी तरह के सबूत नहीं हैं। हमारे काम को लोगों का समर्थन हासिल है और हमें 70 फीसद धन भारतीयों के चंदे से मिलता है।
संस्था का दावा है कि ग्रीनपीस इंडिया ने इस वित्त वर्ष में 30,746 नए समर्थकों को जोड़ा है और इस तरह कुल 77,768 समर्थक ग्रीनपीस को आर्थिक मदद देते हैं। 31 मार्च 2015 को समाप्त वित्त वर्ष में ग्रीनपीस को प्राप्त 30,36 करोड़ रुपए में से 20.76 करोड़ रुपए भारतीयों के चंदे के प्राप्त हुआ है।