कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से धड़ाम हुए बाजारों को वापस पटरी पर लाने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। मोदी सरकार ने शनिवार को एक सर्कुलर जारी कर कहा कि जिन लोगों ने भी राष्ट्रीय बैंकों या एनबीएफसी जैसे अन्य वित्तीय संस्थानों से दो करोड़ रुपए तक का लोन लिया है, उनका लॉकडाउन के समय यानी कुल छह महीने का चक्रवृद्धि ब्याज माफ होगा।
इसका मतलब यह है कि लॉकडाउन के ऐलान के बाद 1 मार्च 2020 से 31 अगस्त 2020 के बीच जिन्होंने भी लोन ले रखा था, उन पर लगने वाले चक्रवृद्धि ब्याज को सरकार माफ करेगी। यानी अगर किसी उपभोक्ता पर लोन न चुका पाने की वजह से साधारण ब्याज की जगह चक्रवृद्धि ब्याज लगा है, तो इसके अंतर का भुगतान सरकार करेगी।
बता दें कि रिजर्व बैंक ने पहले ही बैंकों से कर्जदारों को मोरैटोरियम देने के लिए कहा था, ताकि वे महामारी की अवधि के दौरान ब्याज चुकाने के बोझ से बच जाएं, हालांकि कुछ बैंकों ने इसके बावजूद ग्राहकों पर साधारण ब्याज की जगह चक्रवृद्धि ब्याज लगाना जारी रखा। अब इस पर केंद्र की यह बड़ी बात छोटे और मध्यम उद्योगों (MSMEs) और व्यक्तिगत लोन लेने वाले लोगों के लिए बड़ी राहत बनकर आई है।
क्या है सरकार का ऐलान?: सरकार ने सर्कुलर जारी कर कहा है कि सभी बैंक अब देनदारों से वसूले गए चक्रवृद्धि ब्याज और साधारण ब्याज के अंतर को लौटाएंगे। यानी जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान चक्रवृद्धि ब्याज बैंकों को भरा है, उन्हें इसका अंतर वापस मिलेगा। वहीं जिन्होंने मोरैटोरियम के दौरान ब्याज नहीं चुकाया है, उन्हें सिर्फ साधारण ब्याज ही भरना होगा।
Loans for MSME, education, housing, consumer durables, credit card dues, automobiles, along with personal loans and consumption loans up to Rs 2 crores eligible under the scheme. https://t.co/bFAw21wWE6
— ANI (@ANI) October 24, 2020
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि जिन लोगों के कर्ज का बोझ सरकार उठाएगी, उनमें दो करोड़ रुपए से कम के लघु एवं मध्यम उद्योग (MSMEs) लोन, एजुकेशन लोन, हाउजिंग लोन, कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन, क्रेडिट कार्ड का बकाया, ऑटो लोन, पर्सनल लोन और प्रोफेशनल लोन लेने वाले शामिल होंगे।