कोरोना काल में केंद्र सरकार के सामने कई नई चुनौतियां आई हैं। इनमें एक बड़ी चुनौती कर्ज बढ़ने की है। सरकार पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा है।
ताजा आंकड़े के मुताबिक सरकार की कुल देनदारी सितंबर 2020 को खत्म हुई तिमाही में 5.6 प्रतिशत बढ़कर 107.04 लाख करोड़ रुपये हो गई है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के अंत में सरकार का बकाया कुल कर्ज 101.3 लाख करोड़ रुपये था। तिमाही आधार पर कुल देनदारी में बढ़ोतरी कोविड-19 संकट के कारण राजस्व संग्रह और बढ़ते खर्च पर दबाव को दर्शाती है।
राजकोषीय घाटा बढ़ा: केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा नवंबर 2020 के अंत में 10.75 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया जो 2020-21 के बजट अनुमान का 135.1 प्रतिशत है। मुख्य रूप से कोरोना वायरस महामारी के बीच कारोबारी गतिविधियां प्रभावित होने से राजस्व संग्रह कम रहने के कारण राजकोषीय घाटा बढ़ा है।
इससे पहले, राजकोषीय घाटा नवंबर 2019 के अंत में 2019-20 के बजट अनुमान का 114.8 प्रतिशत था। बढ़ते राजकोषीय घाटे का असर वही होता है, जो आपकी कमाई के मुकाबले खर्च बढ़ने पर होता है। जिस तरह खर्च बढ़ने की स्थिति में हम अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्ज लेते हैं, उसी तरह सरकारें भी कर्ज लेती हैं।
विनिवेश पर झटके की आशंका: चालू वित्त वर्ष में विनिवेश के मोर्चे पर केंद्र सरकार को झटका लग सकता है। दरअसल, इस वित्त वर्ष में सरकार 2 लाख 10 हजार करोड़ रुपये जुटाने के लक्ष्य पर काम कर रही है। लेकिन विनिवेश की मंद रफ्तार को देखते हुए ये लक्ष्य काफी मुश्किल लग रहा है। आपको बता दें कि सरकार एयर इंडिया, बीपीसीएल समेत कई कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचकर ये रकम जुटाएगी।