निर्यात के बढ़ते उच्च स्तर से जिस तरह से विदेशी मुद्रा अर्जित करने मे सफलता मिल रही है, उससे देश में नई संभावनाएं दिखाई देने लगी हैं। केंद्र सरकार की संतुलित नीतियों की वजह से भारत का निर्यात अब तक के सबसे उच्च स्तर पर जाना यह बताता है कि आर्थिक आत्मनिर्भरता की नीति कारगर साबित हो रही है। अगर आत्मनिर्भरता की नीति और नियति सही हो तो वह मुकाम भी हासिल किया जा सकता है जो असंभव दिखाई देता था। निर्यात की यह उपलब्धि कृषि, रक्षा और सेवा क्षेत्र में बेहतर उत्पाद और निर्यात से हासिल हुई है।
भारत का विरोध करने वाले देशों ने भी सराहा
केंद्र सरकार के ठोस प्रयास ने उन देशों को भी भारत की विदेश व्यापार नीतियों को कारगर मानना पड़ा है जो यह मान बैठे थे कि भारत की विदेश व्यापार नीति ऐसी नहीं है जो उसे आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत का निर्यात 750 अरब डालर को पार कर गया है। यह अब तक का सर्वकालिक उच्चतम स्तर है। इससे उन क्षेत्रों में बेहतर उत्पाद को बढ़ावा देने के लिए भी दबाव बना है जो अभी उच्च स्तर पर नहीं आ पाए हैं। मंत्रालय के अनुसार 2020-21 में भारत का जहां कुल निर्यात 500 अरब डालर था, वह 250 अरब डालर की वृद्धि के साथ 2022-23 में 750 अरब डालर के रिकार्ड स्तर तक जा पहुंचा।
यह करिश्मा तब हुआ है जब अभी देश कोरोना संकट से पूरी तरह उबरा है और प्राकृतिक वातावरण कृषि क्षेत्र के लिए बहुत अनुकूल नहीं चल रहा है। कृषि क्षेत्र में उत्पादन के साथ-साथ निर्यात भी तेज गति से आगे बढ़ा। मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि सबसे ज्यादा निर्यात सेवा क्षेत्र और रक्षा क्षेत्र में किया गया। आंकड़े के अनुसार बीते वर्ष फरवरी की तुलना में 36.9 फीसद से अधिक की बढ़त हासिल हुई है। फरवरी 2022 की 21.30 अरब डालर की तुलना में फरवरी 2023 में सेवा क्षेत्र ने 29.15 अरब डालर का निर्यात किया।
वर्ष 2020-21 में जहां भारत के सेवा क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाली सेवाओं का कुल निर्यात 206.1 अरब डालर था, वह कोरोना के बाद 2021-22 में बढ़कर 254.5 अरब डालर हो गया। वर्तमान में कुल निर्यात क्षेत्र में सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी 43 फीसद है। इसी तरह वित्त वर्ष 2022-23 के लिए फरवरी में समाप्त हुई ग्यारह महीनों (अप्रैल -फरवरी 2022-23) के लिए संचयी रूप से सेवाओं के कुल निर्यात की अनुमानित राशि 296.94 अरब डालर रही, जबकि 2021-22 के अप्रैल-फरवरी के बीच सेवा क्षेत्र के निर्यात का मूल्य 227.58 अरब डालर था।
सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, ‘मर्केंडाइज’ यानी माल निर्यात बीते वर्ष की समान अवधि की तुलना में 8.8 फीसद की कमी दर्ज की गई। गत वर्ष फरवरी में जहां माल निर्यात 37.15 अरब डालर था, वह इस वर्ष फरवरी में 33.88 अरब डालर ही रहा। हालांकि फरवरी 2023 में माल निर्यात और सेवा क्षेत्र के संयुक्त रूप से कुल निर्यात 63.2 अरब डालर के होने का अनुमान लगाया गया।
इस तरह यह आंकड़ा गुजरे साल की समान अवधि (85.46 अरब डालर) की तुलना में 7.81 फीसद की वृद्धि दिखाता है। वहीं 2022-23 (अप्रैल-फरवरी) की बात करें तो देश के सेवा क्षेत्र और माल क्षेत्र के संयुक्त रूप से 702.88 अरब डालर के कुल निर्यात का अनुमान है, जो बीते वर्ष की समान अवधि में 16.18 फीसद की वृद्धि दिखाता है।
भारत में निर्मित रक्षा उत्पादों का निर्यात पहली बार तेरह हजार करोड़ को पार कर गया। एक दशक पहले तक भारत अधिकतर रक्षा उपकरणों का आयात करता था और बहुत बड़ी राशि इसमें व्यय होती थी। यह केंद्र सरकार की स्वदेशी को बढ़ावा देने और रक्षा उपकरणों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और बड़े पैमाने पर स्वदेशी रक्षा उपकरणों के निर्माण करने की नीति के तहत संभव हुआ।
हाल ही में रक्षा मंत्रालय द्वारा राज्य सभा में दी गई जानकारी के मुताबिक, इस साल 6 मार्च तक भारत का कुल रक्षा निर्यात 13,399 करोड़ रुपए का रहा। जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में 12,815 करोड़ रुपए का निर्यात किया गया। वहीं 2020-21 में यह 8,435 करोड़ रुपए था, 2019-20 में 10,746 करोड़ और 2017-18 में भारत ने महज 4,642 करोड़ रुपए के रक्षा उपकरण निर्यात किए। जहां निर्यात में वृद्धि हुई, वहीं रक्षा खरीद यानी आयात में भी कमी दर्ज की गई।
रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 के पहले ग्यारह महीनों के दौरान बीते साल की समान अवधि में कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों का निर्यात नौ फीसद बढ़त के साथ 23.1 अरब डालर पर पहुंच गया। इसमें दूध, सब्जी, फल, चावल, पशुधन की प्रमुख भूमिका रही। सबसे ज्यादा चावल का निर्यात हुआ। आंकड़े के अनुसार, सोलह फीसद से ज्यादा बढ़त के साथ 10 अरब डालर के रिकार्ड स्तर पर चावल का निर्यात किया गया।
अनुमान है कि चावल का निर्यात वर्तमान वित्त वर्ष में ग्यारह अरब डालर को पार कर जाएगा। बीते वर्ष की तरह इस वर्ष भी तकरीबन इक्कीस मिलियन टन अनाज का निर्यात किया जाएगा। चावल निर्यात का सबसे सुखद पहलू यह है कि चावल की वैश्विक मांग लगातार बढ़ रही है- खासकर सबसे अच्छी किस्म के चावल की।
आकंड़े बताते हैं कि पैंतालीस फीसद के लगभग वैश्विक चावल व्यापार में हिस्सेदारी के साथ भारत में वित्त वर्ष 2022 में 9.6 अरब डालर के मूल्य के चावल का निर्यात किया गया। इस तरह बीते एक दशक से भारत दुनिया का चावल निर्यातक बना हुआ है। गौरतलब है कि केंद्र और राज्य सरकारें चावल उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही हैं, उससे आने वाले वर्षों में भारत चावल निर्यात से अरबों डालर की कमाई करने की हालत में होगा। इस वक्त भारत पचहत्तर से ज्यादा देशों को भारत चावल का निर्यात कर रहा है।
फल और सब्जियों का निर्यात वित्त वर्ष में ग्यारह फीसद बढ़त के साथ वित्त वर्ष अप्रैल-फरवरी 2022-23 में 2.8 अरब डालर का पहुंच गया। इसी तरह वर्तमान वित्त वर्ष के ग्यारह महीनों में अनाज और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद सोलह फीसद बढ़कर 2.3 अरब डालर का पहुंच गया, बीते वर्ष की तुलना में। मांस निर्यात, पाल्ट्री और दुग्ध उत्पादों का निर्यात चालू वित्त वर्ष (अप्रैल-फरवरी) की अवधि में 3.6 अरब डालर का रहा। लेकिन चालू वित्त वर्ष के लिए 23.5 अरब डालर निर्यात की वस्तुओं (उत्पादों) का जो लक्ष्य निर्धारित किया गया है उसमें कृषि उत्पादों के अलावा चाय, मसाले, काफी और तंबाकू सहित अन्य उत्पाद शामिल हैं।
जिस तरह से सेवा क्षेत्र में लगातार वृद्धि हो रही है, उससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि अब यह नया रिकार्ड कायम करेगा और 300 अरब डालर से ज्यादा हो सकता है। निर्यात में इस बेहतर वृद्धि की वजह भारत का घरलू बाजार मजबूती के साथ लगातार आगे बढ़ते जाना है। निर्यात और उत्पादकता को उच्चतम स्तर पर बनाए रखना है चुनौती निर्यात बढ़ने से जहां भारत के किसानों को फायदा पहुंच रहा है वहीं व्यापारियों को भी लाभ हो रहा है। कृषि क्षेत्र से जुड़े सभी लोगों को निराशा की भंवर से निकालने के लिए यह महत्त्वपूर्ण संदेश है। इसी तरह माल, रक्षा और सेवा क्षेत्र में बढ़ते कदम और स्वदेशीकरण की प्रक्रिया से रोजगार की अधिक संभावनाएं भी तेजी से बढ़ी हैं।
कई देशों में किसानों की हालात कई कारणों से पिछले कुछ सालों से अच्छी नहीं बताई जा रही है। ऐसे में बढ़ते निर्यात के उच्चतम स्तर को बनाए रखने में एक बड़ी चुनौती भी है। गौरतलब है, केंद्र कृषि उत्पादों को बढ़ाने के साथ, सेवा व रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हर तरह से प्रोत्साहित कर रहा है। यह केंद्र की उस नीति का हिस्सा है जो भारत को आर्थिक, रक्षा व अन्य क्षेत्रों में दुनिया के तमाम देशों से आगे बढ़ाकर आत्मनिर्भर ही नहीं, अन्य देशों को भी हर तरह से मदद पहुंचाने के काबिल हो सके।