केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की सेंट्रल रेलसाइड वेयरहाउस कंपनी लिमिटेड (सीआरडब्ल्यूसी) की उसकी होल्डिंग कंपनी सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन (सीडब्ल्यूसी) में विलय को मंजूरी दे दी।
सरकार का क्या है कहना: केंद्र सरकार का दावा है कि इस विलय से एक ही प्रशासन के माध्यम से न सिर्फ दोनों कंपनियों के भंडारण, रखरखाव और परिवहन जैसे समान कार्य हो सकेंगे बल्कि इससे दक्षता, अनुकूलतम क्षमता उपयोग, पारदर्शिता, जवाबदेही बढ़ने के साथ वित्तीय बचत भी सुनिश्चित होगी।
अनुमान है कि रेलसाइड वेयरहाउस कॉम्प्लेक्स (आरडब्ल्यूसी) के प्रबंधन खर्च में कॉरपोरेट कार्यालय के किराए, कर्मचारियों के वेतन और अन्य प्रशासनिक खर्चों में बचत से कुल व्यय में 5 करोड़ रुपये की कमी आएगी। साथ ही नई भंडारण क्षमताओं के लिए ‘रेलवे साइडिंग’ का लाभ उठाया जा सकेगा।
आरडब्ल्यूसी के क्षमता उपयोग में भी सुधार होगा क्योंकि सीडब्ल्यूसी के लिए सीमेंट, उर्वरक, चीनी, नमक और सोडा जैसी वर्तमान वस्तुओं के अलावा अन्य वस्तुओं के भंडारण की क्षमता में भी वृद्धि होगी।
कितने लोगों को मिलेगा रोजगार: सरकार की ओर से जारी बयान के मुताबिक इस विलय से माल-गोदाम स्थलों के पास कम से कम 50 और रेलसाइड गोदाम स्थापित करने की सुविधा मिलेगी। इससे कुशल कामगारों के लिए 36,500 और अकुशल कामगारों के लिए 9,12,500 श्रम दिवसों के बराबर रोजगार के अवसर पैदा होने की संभावना है। इस विलय की पूरी प्रक्रिया निर्णय की तिथि से 8 महीने के भीतर पूरा होने की उम्मीद है।
सीडब्ल्यूसी के बारे में: आपको बता दें कि सेंट्रल वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन (सीडब्ल्यूसी) का गठन 1957 में हुआ। यह केंद्र सरकार द्वारा नोटिफाई कृषि उपज और कुछ अन्य वस्तुओं के भंडारण के उद्देश्य और उससे जुड़े मामलों के लिए वेयरहाउसिंग कॉरपोरेशन के निगमन और विनियमन के लिए सेवाएं प्रदान करती है। ये एक एक लाभ कमाने वाला सार्वजनिक उद्यम है।
इसने 10 जुलाई 2007 को एक सब्सिडरी कंपनी सीआरडब्ल्यूसी की स्थापना की थी। इस सब्सिडरी को रेलसाइड भंडारण परिसरों, टर्मिनलों, विभिन्न प्रकार के भंडारण केन्द्र की योजना, विकास, संवर्धन, अधिग्रहण और परिचालन का काम दिया गया था। इसके लिये भूमि रेलवे तथा अन्य प्रकार से पट्टे पर ली गई।