देश में तेजी से जॉब बदलने का कल्चर बढ़ रहा है। ये हाल सिर्फ भारत में ही नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया में इसका असर बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में नौकरी छोड़ने वालों की संख्या बढ़ी है।

हाल ये हो गया है कि कई देशों में अच्छे काम करने वालों की कमी हो गई है। एनालिटिक्स फर्म विज़ियर के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में इस साल चार में से कम से कम एक व्यक्ति ने अपनी नौकरी छोड़ दी है। साथ ही 2021 के अंत से पहले इस तरह के मामलों में और बढ़ोतरी हो सकती है। अमेरिका में हाल में आई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 4.4 मिलियन लोगों ने यानि कि तीन प्रतिशत श्रमिकों ने सितंबर में अपनी नौकरी छोड़ दी।

कोरोना काल की महामारी के बाद जब भारत समेत कई देशों में अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने के लिए संघर्ष कर रही है, वहां लोगों का अचानक से नौकरी छोड़ना अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है। ऐसा नहीं है कि लोगों के हाथ में नौकरी होने पर वो जॉब छोड़ रहे हैं, रिपोर्टों के अनुसार लोग थकान, काम से मन ऊब जाने जैसे कारणों के कारण नौकरी छोड़ रहे हैं।

कनाडा और यूके जैसे अन्य देशों में भी इसी तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं। जर्मनी में, एक तिहाई से अधिक कंपनियों ने कहा कि उनके पास जुलाई से कर्मचारियों की कमी है। यह आकंड़ा पिछले तीन वर्षों में सबसे अधिक है। इस साल मार्च में सॉफ्टवेयर की प्रमुख कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के एक सर्वे में कहा गया था कि वैश्विक कार्यबल के 41 प्रतिशत लोग अपने वर्तमान जॉब को छोड़ने पर विचार कर सकते हैं, 46 प्रतिशत लोग करियर परिवर्तन करने की योजना बना रहे हैं।

बताया जा रहा है कि 40 प्रतिशत लोग अपने काम को ही बदलने के लिए तैयार हैं। नौकरी छोड़ने वाले में महिलाओं की संख्या ज्यादा है। वहीं भारत की बात करें तो यहां भी लगभग वहीं हाल है। टेक सेक्टर में एट्रिएशन का चलन बढ़ता दिख रहा है। आईटी सेक्टर में 23 प्रतिशत लोगों ने नौकरी बदल ली है।

हालांकि यहां का बाजार पश्चिमी देशों से अलग है, इसलिए इसका ज्यादा असर और सेक्टर्स में नहीं पड़ा है। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए रियल्टी कंपनी अनारॉक ग्रुप (ANAROCK Group) के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि आईटी और आईटीईएस क्षेत्रों में नौकरी बदलने का ट्रेंड दिखाई दे रहा है।