देश की दिग्गज मसाला कंपनी MDH के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी का निधन हो गया है। मसाला किंग के नाम से मशहूर धर्मपाल गुलाटी 98 साल के थे। उन्होंने MDH मसाला के जरिए भारत समेत दुनियाभर में एक खास पहचान बनाई थी।

दिलचस्प बात ये है कि धर्मपाल गुलाटी बंटवारे के बाद पाकिस्तान से भारत आए थे। भारत में आकर वह मसाला उद्योग के सबसे बड़े कारोबारी बन गए। आज एमडीएच मसाला हर घर के किचन में स्वाद का जायका लगा रहा है। हालांकि, ये सफलता एक दिन या एक साल में नहीं मिली है। इसके पीछे धर्मपाल गुलाटी का लंबा संघर्ष है। आइए जानते हैं कि धर्मपाल गुलाटी के सफलता की कहानी।

5वीं तक की पढ़ाई: पाकिस्तान के सियालकोट में जन्में गुलाटी ने सिर्फ 5वीं तक की पढ़ाई की थी। दरअसल, उनके पिता ने सियालकोट में महाशिया दी हट्टी (MDH) नाम से मसाले की एक दुकान खोली थी। दुकान पर पिता का हाथ बंटाने के लिए धर्मपाल गुलाटी ने पढ़ाई छोड़ी थी।

तांगे वाले से मसाला किंग बने महाशय धर्मपाल गुलाटी नहीं रहे

खौफ में छोड़ दिया पाकिस्तान: साल 1947 में देश विभाजन के दौरान की हिंसा ने धर्मपाल गुलाटी को झकझोर कर रख दिया। इसके बाद उन्होंने भारत आने का फैसला किया। धर्मपाल गुलाटी जब भारत आए तब उनकी जेब में महज 1,500 रुपये थे। अमृतसर के रिफ्यूजी कैंप में शरण लेने के बाद उन्होंने दिल्ली का रुख किया। दिल्ली में परिवार के भरण-पोषण में काफी दिक्कतें आती थी। ऐसे में उन्होंने तांगा चलाकर परिवार का भरण-पोषण किया।

 

करोलबाग में पहली दुकान: कमाई से धर्मपाल गुलाटी ने कुछ पैसे जमा किए और दिल्ली के करोल बाग स्थित अजमल खां रोड पर मसाले की एक दुकान खोल ली। यहीं से शुरू हुई मसाले के कारोबार की कहानी। धीरे-धीरे धर्मपाल गुलाटी का कारोबार इतना फैलता गया कि आज भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में एमडीएच मसाले की मांग है।