आप शोरूम से नई कार खरीद कर घर ले आएं और पता चले कि ये पुरानी है, वास्तव में डीलर ने पुरानी कार को पेंट कर नए के तौर पर बेच दिया है। ये आपके लिए एक बड़ा झटका होगा। असम परिवहन विभाग ने ऐसे ही मारुति सुजुकी के एक डीलर के फ्रॉड को संज्ञान में लेते हुए उसका कारोबारी लाइसेंस रद्द कर दिया है। लेकिन सवाल है कि पुरानी और नई कार के अंतर को कैसे पहचाना जा सकता है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या है तरीका: आप जिस गाड़ी को खरीद रहे हैं वो कितनी पुरानी है, यानी कि उसकी मैन्युफैक्चरिंग कब हुई है, इसकी जानकारी आप चंद सेकेंड में ले सकते हैं। दरअसल, हर कार निर्माता कंपनी के वाहन पर एक कोड होता है। इस कोड को व्हीकल आइडेंटीफिकेशन नंबर (VIN) कहते हैं। हर कार में यूनीक VIN होता है। आमतौर पर ये कोड इंजन के करीब या पैसेंजर कम्पार्टमेंट के आसपास होता है।
इस कोड को आप डिकोड कर कार की मैन्युफैक्चरिंग डेट, महीना और साल की जानकारी ले सकते हैं। इसके जरिए आप पता कर सकते हैं कि कार का प्रोडक्शन कब हुआ था।
अगर मारुति के संदर्भ में समझें तो कंपनी की कार का VIN 17 अक्षरों में होता है। इसमें से 11वां अक्षर मैन्युफैक्चरिंग के महीने को जबकि 10वां अक्षर साल को दिखाता है। कहने का मतलब ये है कि इस तरीके से आप पुरानी और नई कार के बीच का फर्क समझ सकते हैं।
असम के डीलर का क्या था मामला: अधिकारियों के मुताबिक एक व्यक्ति ने ग्राहकों के साथ धोखाधड़ी के लिए डीलर के खिलाफ उनके कार्यालय और परिवहन आयुक्त कार्यालय में शिकायत दर्ज करायी थी। इसके बाद छापेमारी की गई।
छापे के दौरान कई विसंगतियां मिली। अधिकारियों ने बताया कि निरीक्षकों ने एक वाहन की भी पड़ताल की जिसकी बिक्री पेंट करके, नए वाहन के तौर पर की गयी थी। जांच में पाया गया कि वह पुरानी कार थी। पूछताछ के दौरान सफाई दी गई कि अनजाने में इसकी बिक्री की गयी। इसके बाद तुरंत प्रभाव से कारोबारी लाइसेंस और कारोबार प्रमाणपत्र को रद्द कर दिया गया।