नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) ने रियल एस्टेट डेवलपर डीएलएफ (Real estate Developer DLF) को उस जमीन के पिछले मालिक को मुआवजे के रूप में 235 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए नोटिस जारी किया है, जिस पर मॉल ऑफ इंडिया (Mall of India) बनाया गया है।
Supreme Court के आदेश पर नोटिस
हालांकि डीएलएफ ने कहा है कि उसे अभी तक इस संबंध में सूचना प्राप्त नहीं हुई है। यह आदेश तब आया है जब 5 मई को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) को मॉल की जमीन के पिछले मालिक वीराना रेड्डी (Veerana Redyy) को जमीन के लिए मुआवजे का भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।
नोएडा अथॉरिटी की सीईओ रितु माहेश्वरी (Noida Authority CEO Ritu Maheshwari) ने पीटीआई से बात करते हुए पुष्टि की कि नोटिस जारी किया गया है। एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि डीएलएफ को 23 दिसंबर को नोटिस जारी किया गया था और राशि 15 दिन में लौटानी है। हालांकि संपर्क करने पर डीएलएफ के एक प्रवक्ता (DLF spokesperson) ने एक बयान में कहा कि हमें कोई नोटिस नहीं मिला है। एक बार जब हमें यह मिल जाएगा, हम इसकी समीक्षा करेंगे।
नोएडा के कमर्शियल हब सेक्टर 18 में स्थित है मॉल
डीएलएफ मॉल ऑफ इंडिया (DLF Mall of India) नोएडा के कमर्शियल हब सेक्टर 18 में स्थित है। जिस जमीन पर मॉल बनाया गया है, उसे नोएडा प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहित किया गया था, जो उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास मंत्रालय (Industrial Development Ministry) के तहत काम करता है। इसे 2005 में वीराना रेड्डी से और बाद में डीएलएफ को नीलाम कर दिया गया था। एक अधिकारी के अनुसार वीराना रेड्डी को मुआवजे का एक बड़ा हिस्सा बकाया है और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया।
बता दें कि यह मामला 17 साल पुराना है। विराना रेड्डी ने 24 अप्रैल 1997 को एक स्थानीय किसान से जमीन खरीदी थी। 5 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विनीत सरन और जेके माहेश्वरी की बेंच ने नोएडा अथॉरिटी को आदेश दिया कि वह आदमी को 15 प्रतिशत का ब्याज दे। भूमि अधिग्रहण के मुआवजे के रूप में 1,10,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से शेष पैसे का भुगतान करने के लिए कहा गया है।