बैंक लोन चुकाने पर छूट की अवधि बढ़ाने को लेकर बैंक और सरकार आमने-सामने आ गए हैं। एक तरफ देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार इसके विरोध में हैं तो दूसरी तरफ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने छूट को बढ़ाने के संकेत दिए हैं। निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि वित्त मंत्रालय आरबीआई के साथ मिलकर लोन चुकाने में छूट की अवधि को बढ़ाने पर विचार कर रहा है। यही नहीं उन्होंने हॉस्पिटैलिटी सेक्टर का जिक्र करते हुए कहा कि मैं लोगों की समस्याओं को पूरी तरह समझती हैं। हॉस्पिटैलिटी सेक्टर ने मोराटोरियम की अवधि को बढ़ाने की मांग की थी। इसके अलावा वित्त मंत्री ने कहा कि बैंक एमएसएमई सेक्टर को लोन देने से इनकार नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि यदि कोई बैंक ऐसा करता है तो हम उस पर विचार करेंगे।

इस बीच एसबीआई चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा कि मोराटोरियम अवधि को अगस्त से आगे बढ़ाना ठीक नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘मेरे समेत ज्यादातर बैंकर मानते हैं कि लोन में छूट की अवधि 31 अगस्त से ज्यादा नहीं की जानी चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘हम मानते हैं कि लोन न चुकाने की छूट देने के लिए 6 महीने का वक्त काफी है।’

रजनीश कुमार से पहले एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख भी कह चुके हैं कि मोराटोरियम की अवधि और नहीं बढ़ाई जानी चाहिए। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास से पारेख ने एक इवेंट में कहा था, ‘कृपया मोराटोरियम की अवधि न बढ़ाएं। हम देख रहे हैं कि इस छूट का कई लोग बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं, जबकि वे कर्ज चुकाने की स्थिति में हैं। हम मोराटोरियम की अवधि बढ़ाने की चर्चाएं सुन रहे हैं, इससे बैंकों और एनबीएफसी को नुकसान पहुंचेगा।’

इन सेक्टर्स को और छूट देने पर विचार: सूत्रों के मुताबिक सरकार और आरबीआई सभी को छूट देने की बजाय हॉस्पिटेलिटी औऱ एविएशन सेक्टर से जुड़े लोगों को यह लाभ देने पर विचार कर रहे हैं। बता दें कि खुद आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास भी बैंकों की खराब हालत का जिक्र कर चुके हैं। दास ने पिछले दिनों कहा था कि इंडस्ट्री को इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की फंडिंग के लिए कुछ नए रास्ते तलाशने चाहिए क्योंकि बैंक पहले ही बैड लोन के संकट से गुजर रहे हैं।

31 अगस्त को खत्म हो रही 6 महीने की छूट: बता दें कि कोरोना संकट से निपटने के लिए मार्च महीने में लॉकडाउन का ऐलान किए जाने के बाद ही आरबीआई की ओर से तीन महीने (मार्च, अप्रैल और मई) के मोराटोरियम का ऐलान किया गया था। इसके बाद लॉकडाउन में इजाफा होने के बाद छूट की अवधि को भी बढ़ाकर अप्रैल तक कर दिया गया था। अब इसे आगे बढ़ाए जाने की चर्चाएं हैं, जिसका बैंकों की ओर से विरोध किया जा रहा है। यह छूट सभी तरह के बैंक लोन और क्रेडिट कार्ड्स के कर्ज पर लागू है।