Electoral Bonds Data News: पिछले दो दिनों से देश में जो दो चीजें सबसे ज्यादा खबरों में हैं। पहला- लोकसभी चुनाव और दूसरा इलेक्टोरल बॉन्ड। राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने के लिए शुरू किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड्स को सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2024 में असंवैधानिक करार दिया था। चुनावी बॉन्ड का डेटा अब सार्वजनिक कर दिया गया है और लगातार नए दिलचस्प तथ्य सामने आ रहे हैं। देश में मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर ने कुल 1200 करोड़ से ज्यादा के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। वहीं विदेशी कंपनी फ्यूचर गेमिंग ने करीब 1300 करोड़ से ज्यादा का चंदा दिया। सबसे बड़े दानदाताओं को लेकर तो खबरें गर्म हैं लेकिन क्या आपको पता है सबसे कम चंदा किसने राजनीतिक पार्टियों को दिया? आज हम आपको बता रहे हैं सबसे कम दाम का इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले लोगों के बारे में।

इलेक्टोरल बॉन्ड डेटा के मुताबिक, कुल 132 ऐसी एंट्री हैं जिसमें राजनीतिक पार्टियों को 1000 रुपये का चंदा मिला है। लेकिन दिलचस्प है कि 8 शख्स ऐसे हैं जिन्होंने खुद 1000 रुपये का इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदा।

खास बात है कि 1000 रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों की लिस्ट में कुछ बड़ी कंपनियां भी हैं। ITC ने 1000 रुपये के 15 इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे और दान किए। इसके अलावा भी आईटीसी ने कई अन्य बड़े डोनेशन किए हैं। 1000 रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वालों में कई इंडिविजुअल शख्स भी हैं। कुछ 8 ऐसे शख्स हैं जिन्होंने 1000 रुपये के चुनावी बॉन्ड ही खरीदे।

Electoral Bonds data: किस कंपनी ने दिया 1200 करोड़ का चंदा? एक दिन में खरीदे 100 करोड़ के चुनावी बॉन्ड, नितिन गडकरी ने संसद में की थी तारीफ

जानें उन 8 लोगों के नाम, जिन्होंने 1000 रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे:
पूनम अग्रवाल
पवन अग्रवाल
कुणाल गुप्ता
दामिनी नाथ
एन राममूर्ति
अरविंद एस
अंकुर सिंघल
समीर भाटिया

राज्य सभा की नई सदस्य सुधा मूर्ति हैं अरबों की संपत्ति की मालकिन, दामाद ब्रिटेन के पीएम, सालों पहले बनी थीं TELCO की पहली महिला इंजीनियर

1000 रुपये के सबसे ज्यादा चुनावी बॉन्ड किसने किए एन्कैश
चुनाव आयोग द्वारा शेयर किए गए डेटा के मुताबिक, 12 अन्य ऐसे लोग रहे जिन्होंने एक से ज्यादा बार 1000 रुपये का बॉन्ड खरीदा। सूची से जानकारी मिलती है कि राजनीतिक पार्टियों ने 103 बार 1000 रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड को एन्कैश कराया। शिवसेना इस लिस्ट में सबसे आगे रही और 44 बार 1000 रुपये का बॉन्ड इस पार्टी ने भुनाया। जबकि बीजेपी ने 31 बार 1000 रुपये का बॉन्ड एन्कैश कराया।

क्या होते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड?(What is Electoral Bonds?)
इलेक्टोरल बॉन्ड को 2017 में भारत सरकार ने राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले डोनेशन में पारदर्शिता लाने के लिए लाया गया था। इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को को 2017-18 में लागू किया गया लेकिन 15 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में इन बॉन्ड्स को असंवैधानिक करार दिया। स्टेट बैंक ऑफ इंडयिा ने 2018 से अब तक 30 हिस्सों में कुल 16,518 करोड़ रुपये के बॉन्ड बेचे।

बता दें कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान गुप्त रहती है। मतलब कोई व्यक्ति या संस्था बैंक से बॉन्ड खरीदकर किसी भी पार्टी को गिफ्ट कर सकता है। और उसके बाद पार्टी को बैंक से इन बॉन्ड को एन्कैश कराना होता है। यानी व्यक्ति या संस्था की पहचान उजागर नहीं होती। इन इलेक्टोरल बॉन्ड की वैलिडिटी 15 दिन होती है और 15 दिन के अंदर एन्कैश ना कराने पर पैसा प्रधानमंत्री राहत कोष में डिपॉजिट हो जाता है।