देश के आम नागरिक अपने भविष्य को सुरक्षित बनाने के मकसद से एलआईसी की बीमा योजनाओं में निवेश करते हैं, लेकिन उनकी इस पूंजी पर जोखिम बढ़ता दिख रहा है। एलआईसी की ओर से कॉरपोरेट घरानों को जारी किए गए कर्जों में से बड़ी रकम एनपीए में तब्दील होती जा रही है। इसके चलते एलआईसी का एनपीए 8 फीसदी के पार हो गया है और कुल रकम का आंकड़ा 36,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का है। हालत यह है कि भारतीय जीवन बीमा निगम ने जिन कंपनियों में निवेश किया था, उनमें से कई तो दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही हैं। आइए जानते हैं, किस कंपनी ने एलआईसी की दबा रखी है रकम और कौन हैं बड़े डिफॉल्टर….

वेणुगोपाल धूत के नेतृत्व वाली कंपनी वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज पर एलआईसी की बड़ी रकम बकाया है। इसके अलावा कई बैंकों को भी संकट में डाल चुकी कंपनी आईएलऐंडएफएस की भी बड़ी रकम बकाया है। भूषण पावर पर भी कंपनी की बड़ी रकम बकाया है। हालांकि एलआईसी ने किस कंपनी पर कितनी रकम बकाया है, इसका खुलासा नहीं किया है। एस्सार पोर्ट, यूनिटेक और डेक्कन क्रॉनिकल भी उन कंपनियों में से हैं, जिन पर एलआईसी की बड़ी रकम बकाया है।

यही नहीं कई बैंकों से धोखाधड़ी कर भागे हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स पर भी इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक एलआईसी की बड़ी रकम बकाया है। कर्ज के संकट से गुजर रहे रिलायंस ग्रुप के मुखिया अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कॉम्युनिकेशंस पर भी एलआईसी का 4,758 करोड़ रुपया बकाया है। बता दें कि इसी सप्ताह Yes Bank ने अनिल अंबानी के समूह के मुंबई स्थित मुख्यालय पर कब्जा जमा लिया है। 2800 करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन चुका पाने पर निजी बैंक की ओर से कार्रवाई की गई है। यस बैंक के मुताबिक अनिल अंबानी पर कुल 12,000 करोड़ रुपये से ज्यादा कर्ज बकाया है।

एक साल में 12,000 करोड़ बढ़ गया एनपीए: गौरतलब है कि 20 मार्च को एलआईसी का एनपीए कुल 36,694.20 करोड़ रुपये दर्ज किया गया है, जो बीते साल 24,772.2 करोड़ रुपये था। इसके अलावा 30 सितंबर, 2019 तक एलआईसी का एनपीए बढ़कर 30,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। दरअसल बीते कुछ सालों में कॉरपोरेट कर्ज के डिफॉल्टर्स की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। इसके चलते एलआईसी का एनपीए भी बढ़ा है।