बिजनेसमैन अनिल अंबानी का व्यावसायिक संकट कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली कंपनी रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई है। कंपनी पर 9000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है। कंपनी इस कर्ज के चुकाने की स्थिति में नहीं है।

आईडीबीआई बैंक के नेतृत्व वाले लैंडर्स ने कंपनी की तरफ से प्रस्तावित प्लान को अस्वीकार कर दिया है। ईटी की खबर के अनुसार इस मामले से जुड़े एक बैंक अधिकारी ने कहा कि लेंडर्स अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस ग्रुप की कंपनी के दिवालिया से जुड़ी प्रक्रिया को शुरू करेगा।

बैंक एग्जिक्यूटिव ने कहा कि लेंडर्स ने कंपनी के व्यवहार्यता प्रस्ताव को खारिज कर दिया। एग्जिक्यूटिव ने कहा कि आरबीआई की तरफ से कंपनी को संकट समाधान का प्रस्ताव पेश करने की समयसीमा जुलाई की शुरुआत में ही खत्म हो चुकी है। वहीं, रिलायंस नेवल की तरफ से दिए गए प्रस्ताव को लैंडर्स ने स्वीकार नहीं किया है।

रिलायंस नेवल भुगतान करने के प्रति अनिच्छुक है और कंपनी चाहती है कि बैंक उसके लन की राशि को इक्विटी में बदल दे। इससे पहले 7 जून के आरबीआई के सर्कुलर के तहत लैंडर्स को 30 दिन के भीतर 70 लोन अकाउंट को रिजॉल्व करने को कहा गया था। प्रत्येक अकाउंट में 2000 करोड़ से अधिक का कर्ज है। इस तरह कर्ज की कुल रकम 3.8 लाख करोड़ बनती है।

ऐसा नहीं होने की सूरत में उन्हें दिवालियापन से जुड़ी प्रक्रिया के लिए उन्हें नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यून को रेफर करना होगा। रिलांयस नेवल जो पहले पिपापाव डिफेंस एंड ऑफशोर इंजीनियरिंग के नाम से जानी जाती थी, साल 2013 से गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रही है। रिलायंस ग्रुप ने साल 2016 जनवरी में इस का मैनेजमेंट अपने हाथ में लिया था।

अधिग्रहण के बाद रिलायंस ग्रुप ने इसे वित्तीय मदद उपलब्ध कराई थी। रिलायंस ने जनवरी 2018 तक इसे वित्तीय सहयोग दिया। इनमें से अधिकतर पैसा कर्जदारों को दिया गया। रिलायंस नेवल को मार्च 2019 में 9399 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था।