कोरोना संकट का दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ ही भारत पर भी विपरीत असर पड़ा है। पहले ही सुस्ती के दौर से गुजर रही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कोरोना का संकट दोहरी मार साबित हो रहा है। दुनिया भर की रेटिंग एजेंसियों ने भारत की जीडीपी में 9 पर्सेंट तक की कमी की आशंका जताई है। भले ही सरकार अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए तमाम उपाय करने के दावे कर रही है, लेकिन कारोबारी जगत अब भी इस संकट के लंबा खिंचने की आशंका जता रहा है। यही नहीं एन. नारायणमूर्ति से लेकर मुकेश अंबानी तक कारोबारी दिग्गजों का कहना है कि यह लंबा खिंचेगा। इसके लिए कोरोना संकट से निपटने के लिए लागू लॉकडाउन को भी जिम्मेदार ठहराया गया है।

आदित्य बिड़ला ग्रुप के चैयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला का कहना है कि कोरोना महामारी से निपटने को लगे लॉकडाउन के कारण वित्त वर्ष 2021 में भारत की जीडीपी में भारी गिरावट आ सकती है। अगर महामारी की दूसरी लहर नहीं आती है तो यह मंदी थोड़े समय तक ही रहने की संभावना है। हालांकि अनिश्चितता के बादल को देखते हुए इस समय कुछ कहना आसान नहीं है। बिड़ला ने कहा, यह अनुमान लगाया जाता है कि भारत की जीडीपी का लगभग 80% हिस्सा उन जिलों से आता है, जिन्हें लॉक डाउन के दौरान रेड और ऑरेंज जोन में बांटा गया था, जहाँ आर्थिक गतिविधि बुरी तरह से बाधित हुई थी।

आईटी सेक्टर के दिग्गज और इन्फोसिस के संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति ने आशंका जताई है कि देश की देश की जीडीपी आज़ादी के बाद सबसे खराब हालत में पहुंच सकती है। मूर्ति ने पिछले दिनों एक इवेंट में कहा था कि भारत की जीडीपी में कम से कम 5 फीसदी तक घट सकती है। ऐसी आशंका है कि हम 1947 की आज़ादी के बाद की सबसे कम जीडीपी देख सकते हैं। उनके अलावा बजाज ग्रुप के राजीव बजाज का कहना है कि भारत में लगे सख्त लॉक डाउन की वजह से अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट से निपटने के लिए भारत ने पश्चिमी देशों को देखकर सख्त लॉक डाउन लगा दिया जिससे संक्रमण का प्रसार तो रुका नहीं बल्कि जीडीपी औंधे मुंह गिर गई और अर्थव्यवस्था चौपट हो गई।

इस संकट को लेकर रिलायंस के मुखिया मुकेश अंबानी ने एक पुस्तक लिखकर कोरोना काल के लंबा खिंचने की आशंका जताई है। मुकेश अंबानी ने कहा कि कोविड-19 आधुनिक इतिहास की सबसे विघटनकारी घटना है। यह सभी के लिए स्वास्थ्य संकट और आर्थिक संकट दोनों है। महामारी के खिलाफ लड़ाई में वैश्विक स्तर पर एक सहकारी और सहयोगी प्रयास की आवश्यकता है।